NTPC का एक प्रोजेक्ट, एक सुरंग और एक घंसता शहर... रिपोर्ट्स चेताती रहीं, फिर भी कैसे खतरे की ओर बढ़ता रहा जोशीमठ
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उत्तराखंड का जोशीमठ शहर धंस रहा है. 600 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकीं हैं. लोगों को दूसरी जगह ले जाया जा रहा है. जोशीमठ के धंसने के लिए एनटीपीसी के हाइड्रो प्रोजेक्ट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. हालांकि, एनटीपीसी का कहना है कि जमीन धंसने और प्रोजेक्ट का कोई कनेक्शन नहीं है.
फटती दीवारें... फर्श पर चौड़ी दरारें... और धंसते मकान... ये मंजर इन दिनों जोशीमठ में दिख रहा है. जोशीमठ उत्तराखंड का एक शहर है जो चमोली जिले में पड़ता है. कुछ समय से लोग अपने मकान धंसने की शिकायत कर रहे हैं. अब तक 600 से ज्यादा घरों में दरार आ भी चुकी है. तीन हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. ये वो लोग हैं जिन्हें अपना घर छोड़कर रिलीफ कैम्प या फिर दूसरे शहरों में बसे अपने रिश्तेदारों के यहां रहना पड़ रहा है.
चमोली के डीएम हिमांशु खुराना ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जोशीमठ में कुल साढ़े चार हजार इमारतें हैं और इनमें से 610 में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं, लिहाजा अब ये रहने के लिए सुरक्षित नहीं हैं.
पर जोशीमठ धंस क्यों रहा है? इसके लिए NTPC के एक हाइड्रो प्रोजेक्ट को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. स्थानीय लोगों का आरोप है NTPC के हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए सुरंग खोदी गई, जिस वजह से शहर धंस रहा है. हालांकि, NTPC ने इन सब बातों को खारिज किया है.
क्या है वो प्रोजेक्ट?
31 दिसंबर 2002 को NTPC यानी नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन और उत्तराखंड सरकार के बीच एक समझौते पर बात हुई. 23 जून 2004 को इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए.
ये समझौता था चमोली जिले की धौलीगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बनाने का. इसका नाम है- 'तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रोपावर प्लांट.'
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