Mumbai: मंत्री जयंत पाटिल बोले- बीजेपी विधायकों के लिए विधानसभा नहीं, 'द कश्मीर फाइल्स' देखना जरूरी
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मुंबई में विधानसभा में कामकाज चल रहा था. लेकिन भाजपा के विधायक मौजूद नहीं थे, इस पर मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि बीजेपी विधायकों के लिए सदन नहीं, द कश्मीर फाइल्स फिल्म देखना जरूरी है.
बॉलीवुड फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर महाराष्ट्र के मंत्री जयंत पाटिल ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि इन दिनों बीजेपी के कई विधायक 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) फिल्म की स्क्रीनिंग में शामिल हुए, जबकि मंगलवार को विधानसभा में कामकाज चल रहा था.
एजेंसी के मुताबिक, जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य के विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की बजाय भाजपा विधायकों के लिए हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' देखना ज्यादा जरूरी था.
एनसीपी के मंत्री ने छह विभागों के अनुदान की मांग पर चर्चा करने के दौरान ये बात कही. बता दें कि मंगलवार शाम को भाजपा नेता कृपाशंकर सिंह ने 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म के विशेष शो का आयोजन किया था.
पाटिल ने कहा कि उस समय विधानसभा में केवल 2 विपक्षी विधायक मौजूद थे, जब बजट सत्र चल रहा था. उन्होंने कहा कि विपक्ष में 2 विधायकों को छोड़कर कोई भी सदस्य मौजूद नहीं है.
एजेंसी के मुताबिक, पाटिल ने आरोप लगाया कि फिल्म द कश्मीर फाइल्स अधिक महत्वपूर्ण है, जबकि राज्य के विकास से संबंधित मुद्दे उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं. क्योंकि भाजपा विधायकों का रवैया यही कहता है. साथ ही चुटकी लेते हुए कहा कि सदन में मौजूद रहने वाले दोनों विधायकों को 'द कश्मीर फाइल्स' न देखकर बलिदान देने के लिए बधाई देता हूं.
हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.