Mumbai: 'निर्भया महिला गोविंदा पथक' की लड़कियां मां काली के रूप में तोड़ेंगी दही हांडी, जानें वजह
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कृष्ण जन्माष्टमी के एक दिन बाद दही हांडी उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस दिन गोविंदाओं की टोली पिरामिड बनाकर दही हांडी को फोड़ती है. इस बार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए निर्भया महिला गोविंदा की टोली ने दही हांडी फोड़ने के लिए मां काली का रूप लेकर दही हांडी फोड़ेगी.
देशभर में बड़े ही धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां की जा रही है. भारत के हर राज्य में कृष्ण जन्माष्टमी को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है और दही हांडी भी फोड़ी जाती है. मुंबई और गुजरात में दही हांडी का नजारा बेहद ही खास होता है. यहां पर गोविंदा ऊंची दही हांडी फोड़ते हैं.
दरअसल, इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर को है और दही हांडी उत्सव का आयोजन 7 सितंबर को किया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव से पहले निर्भया महिला गोविंदा ने दही हांडी फोड़ने के लिए नई पहल की है. महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए और महिला के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न को रोकने के लिए जन्माष्टमी पर दही हांडी फोड़ने वाले हैं.
महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता
महिला गोविंदा ने उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए काली मां का रूप धारण किया है. वो इस ही रूप में दही हांडी फोड़ने का अभ्यास भी कर रही हैं. महिला गोविंदा पथक में करीब 80 लड़कियां हैं, जो इस साल दही हांडी में हिस्सा लेने वाली है. ये सारी लड़कियां पूरे तरीके से मार्शल आर्ट्स में प्रशिक्षित हैं. वही मुंबई में हजारो गोविंदा पथक हैं.
काली माता की रूप धारण की महिला गोविंदा
मगर, इस पथक की सब से अलग बात यह है कि इसमें 10 साल की उम्र से लेकर 45 साल तक की महिलाएं हिस्सा ले रही हैं. इस महिला गोविंदा पथक का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हो रहे जुल्म की मटकी तोड़ना है. वहीं, काली माता के रूप में महिला गोविंदा माता के तांडव के साथ 5 टोली बनाकर दही हांडी को तोड़ने का अभ्यास भी कर रही हैं.
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