
IPC Section 151: अग्निपथ योजना पर बवाल, आदेश के बाद भी नहीं हटे तो इस धारा के तहत होगा एक्शन
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Agnipath: शासन-प्रशासन ने सड़कों पर उत्पात मचाने वाले उपद्रवियों पर शिकंजा कस दिया है. कई राज्यों में अग्निपथ योजना का विरोध करने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है. ऐसे में आईपीसी की धारा 151 के तहत कार्रवाई की जा रही है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 151 इस तरह के मामलों में क्या प्रावधान करती है?
Indian Penal Code: इन दिनों पूरे देश में अग्निपथ योजना के विरोध में बवाल हो रहा है. अलग-अलग जगहों से आगजनी और हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. सरकार की कोशिशों के बावजूद नौजवान समझने को तैयार नहीं हैं. अब शासन-प्रशासन ने सड़कों पर उत्पात मचाने वाले उपद्रवियों पर शिकंजा कस दिया है. कई राज्यों में अग्निपथ योजना का विरोध करने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है. ऐसे में आईपीसी की धारा 151 के तहत कार्रवाई की जा रही है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 151 इस तरह के मामलों में क्या प्रावधान करती है?
आईपीसी की धारा 151 (Indian Penal Code Section 151) भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 151 (Section 151) में तितर-बितर का आदेश आदेश होने के बाद जानबूझकर पांच या अधिक व्यक्तियों की सभा में शामिल होना या वहां बने रहना अपराध माना गया है. IPC की धारा 151 के अनुसार, जो कोई पांच या अधिक व्यक्तियों के किसी जमाव में, जिससे लोक शांति में विघ्न (disturb the peace) कारित होना सम्भाव्य (likely to cause) हो, ऐसे जमाव को बिखर जाने का समादेश (command to disperse) विधिपूर्वक दे दिए जाने पर जानते हुए सम्मिलित होगा या बना रहेगा (will be included or will remain), वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दंडित (punished with imprisonment) किया जाएगा. , जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी. या उस पर आर्थिक जुर्माना (monetary penalty) लगाया जाएगा. या फिर उसे दोनों ही तरह से दंडित (punished) किया जाएगा. यह एक जमानती (Bailable), संज्ञेय अपराध (Cognizable offense) है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (triable by magistrate) है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं (not negotiable) है.
Explanation- अगर वह जमाव धारा 141 के अर्थ के तहत गैरकानूनी जमाव हो, तो संबंधित अपराधी धारा 145 के अधीन दंडनीय होगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC) भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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