
IIT BHU के वैज्ञानिकों की अनोखी खोज, धान की भूसी से साफ होगी गंगा
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आईआईटी(बीएचयू) स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के डॉ विशाल मिश्रा और उनके शोधकर्ता पीएचडी के छात्र वीर सिंह और ज्योति सिंह ने इको-फ्रेंडली अवशोषक को संश्लेषित किया है, जो अपशिष्ट पदार्थों से हेक्सावलेंट क्रोमियम जैसे विषाक्त भारी धातु आयनों को निकाल सकता है.
बढ़ते उद्योग धंधों और बेतरतीब खदानों के दोहन की वजह से गंगा में क्रोमियम की बढ़ती मात्रा चिंता का विषय है, लेकिन अब आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने इसका हल अपनी लैब में निकाल लिया है. IIT-BHU के बायोकेमिकल विभाग के वैज्ञानिकों ने बेकार सी लगने वाली धान की भूसी पर ऐसी आयरन की डोपिंग कर दी है, जिससे गंगा के हानिकारक क्रोमियम युक्त पानी में घुलने पर यह पदार्थ क्रोमियम के खतरनाक प्रभाव को खत्म कर दे रहा है. विश्व के लगभग सभी विकासशील देशों में जल जनित बीमारियां प्रमुख समस्या हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर साल 3.4 मिलियन लोग, ज्यादातर बच्चे, पानी से संबंधित बीमारियों से मर जाते हैं. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट है कि 2.6 बिलियन से अधिक लोगों को स्वच्छ पानी तक पहुंच की कमी है, जो सालाना लगभग 2.2 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है, जिनमें से 1.4 मिलियन बच्चे हैं. पानी की गुणवत्ता में सुधार से वैश्विक जल-जनित बीमारियों को कम किया जा सकता है. इसी कड़ी में आईआईटी(बीएचयू) स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के डॉ विशाल मिश्रा और उनके शोधकर्ता पीएचडी के छात्र वीर सिंह और ज्योति सिंह ने इको-फ्रेंडली अवशोषक को संश्लेषित किया है, जो अपशिष्ट पदार्थों से हेक्सावलेंट क्रोमियम जैसे विषाक्त भारी धातु आयनों को निकाल सकता है. हेक्सावैलेंट क्रोमियम मानव में कई स्वास्थ्य समस्याओं जैसे विभिन्न प्रकार के कैंसर, किडनी और यकृत की बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार है. देश में गंगा समेत अनेक कई नदियों अपशिष्ट गिराए जाने से ये हानिकारक मेटल बहुतायत मात्रा में पाया जाता है.
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