Electoral Bonds पर फैसला आज, 2018 में हुई थी शुरुआत, जानिए कैसे विवादों में आ गया, 5 बड़े सवालों के जवाब
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इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला सुनाने जा रहा है, जिसके बाद तय हो जाएगा कि इलेक्टोरल बॉन्ड वैध है या नहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले साल 31 अक्टूबर से नियमित सुनवाई शुरू की थी.
लोकसभा चुनाव के ऐलान से महीने भर पहले इलेक्टोरल बॉन्ड्स की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. लोकसभा चुनावों से पहले ये फैसला काफी अहम होने वाला है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले साल 31 अक्टूबर से नियमित सुनवाई शुरू की थी. इस दौरान कोर्ट ने 3 दिन लगातार इस मामले पर सुनवाई की थी.
मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने की. इस संविधान पीठ में सीजेआई के साथ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा थे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से दलीलें दी गईं. कोर्ट ने 31 अक्टूबर से दो नवंबर तक सभी पक्षों को गंभीरता से सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
कोर्ट नेकहा था- परेशानियां बनी रहेंगी
पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनावी बॉण्ड योजना के साथ एक दिक्कत यह है कि यह चयनात्मक गुमनामी और चयनात्मक गोपनीयता प्रदान करती है. इसकी जानकारी स्टेट बैंक के पास उपलब्ध रहती है और उन तक कानून प्रवर्तन एजेंसियां भी पहुंच सकती हैं. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि इस योजना के साथ ऐसी परेशानियां रहेंगी. अगर यह सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मुहैया नहीं कराएगी. इससे योजना को लेकर अस्पष्टता की स्थिति बनी रहेगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि योजना का मकसद काले धन को समाप्त करने का बताया गया है. कोर्ट ने कहा था कि यह प्रशंसनीय भी है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या इससे 100% मकसद पूरा हो रहा है?
एक प्रतिशत वोट मिलने की शर्त
योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था. इसके मुताबिक चुनावी बॉण्ड को भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित इकाई खरीद सकती है. कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉण्ड खरीद सकता है. जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल चुनावी बॉण्ड स्वीकार करने के पात्र हैं. शर्त बस यही है कि उन्हें लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हों. चुनावी बॉण्ड को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा केवल अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जाएगा. बॉन्ड खरीदने के पखवाड़े भर के भीतर संबंधित पार्टी को उसे अपने रजिस्टर्ड बैंक खाते में जमा करने की अनिवार्यता है. अगर पार्टी इसमें विफल रहती है तो बॉन्ड निरर्थक और निष्प्रभावी यानी रद्द हो जाएगा.
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