
Delhi Crime 3 Review: एक घिनौने व्यापार की भयानक कहानी, थ्रिल तो है पर फिल्मी होने लगा है ये आइकॉनिक शो
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नेटफ्लिक्स का आइकॉनिक शो 'दिल्ली क्राइम' अपने तीसरे सीजन में पहुंच गया है. इस बार शो की कहानी बेबी फलक के रियल केस पर बेस्ड है, जिसने दिल्ली वालों को दहला दिया था. मगर क्या ये पिछले दो सीजंस की तरह दमदार है? क्या इस बार 'मैडम सर' और उनकी टीम फिर से आपको थ्रिलिंग एक्सपीरियंस दे पाएंगे?
स्क्रीन फाड़ के बाहर कूद जाने को तैयार फिल्मी पुलिसवालों के बीच, 'दिल्ली क्राइम' की 'मैडम सर' और उनकी टीम ने अपनी अलग जगह बनाई है. शो का पहला सीजन निर्भया कांड की भयावह कहानी लेकर आया था. दूसरे सीजन में चड्ढी-बनियान गैंग के संगीन अपराधों की कहानी थी. 'दिल्ली क्राइम सीजन 3' 2012 के बेबी फलक केस पर बेस्ड है. ये केस भी उन मामलों में से एक है, जिन्होंने दिल्ली को दहला कर रख दिया था.
क्या है कहानी? हमारी फेवरेट 'मैडम सर', डी आई जी वर्तिका चतुर्वेदी (शेफाली शाह) नॉर्थ ईस्ट में हैं. हथियारों की तस्करी की टिप पर, उनकी टीम एक ट्रक जब्त करती है. मगर इस ट्रक में हथियार नहीं, लड़कियां हैं. जिन्हें गाय-बकरी की तरह झुंड बनाकर बिठाया गया है. ये ट्रक दिल्ली पहुंचना था. इससे पहले भी एक ट्रक जाने की बात पता चलती है. एक लड़की की दादी ने उसके गुमशुदा होने की रिपोर्ट लिखवाई है. वर्तिका को शक है कि इस लड़की का केस, दिल्ली के लिए निकले इन ट्रकों से जुड़ा है.
इधर दिल्ली में, एम्स हॉस्पिटल में कोई एक दो साल की बच्ची को छोड़ गया है. इस बच्ची के साथ जो हुआ है, वो हैवानियत से कम नहीं है. बच्ची एक-एक सांस के लिए लड़ रही है. पता चलता है कि एक 20 साल की लड़की इसे छोड़ गई है. क्या वो इसकी मां है? खुद को 20 साल का बताती ये लड़की, 15-16 साल से ज्यादा की नहीं लगती. तो क्या उस बच्ची की मां कोई और है? ये केस दिल्ली में वर्तिका की जूनियर रही नीति (रसिका दुग्गल) के जिम्मे है. यहां भूपिंदर (राजेश तैलंग), विमला (जया भट्टाचार्य), जयराज (अनुराग अरोड़ा) जैसे पुराने किरदार फिर मिलते हैं.
वर्तिका चतुर्वेदी का केस अब एक इंटर-स्टेट मामला बन चुका है. वो दिल्ली आई हैं और उनकी पुरानी टीम अपनी 'मैडम सर' की वापसी से काफी खुश है. मगर पुलिस की नौकरी ऐसी खुशियों को टिकने का मौका देती ही कहां है! वर्तिका और नीति के केस आपस में जुड़े हैं. दोनों के सेंटर में एक सेक्स ट्रैफिकिंग रिंग है. इसे कोई बड़ी दीदी चलाती है, जिसे कोई नहीं पहचानता. ये रिंग कैसे चलती है, कौन कौन शामिल है, कोई नहीं जानता. तो इसका खुलासा होना भी कोई आसान चीज तो होगी नहीं!
शो का नाम 'दिल्ली क्राइम' है. सेटिंग आप जानते ही हैं, इसलिए पता है कि केस तो हल होगा ही. थ्रिल इसी बात का है कि कैसे हल होगा और क्या-क्या सामने आएगा? कहानी की सेटिंग क्लियर हो तो बात आती है ट्रीटमेंट पर. और ट्रीटमेंट में 'दिल्ली क्राइम' पहले सीजन से तीसरे सीजन तक आते-आते काफी बदला हुआ नजर आने लगा है.
फिल्मी होने लगा है ये वेब शो 2019 में जब 'दिल्ली क्राइम' का पहला सीजन आया था तो इसका डिज़ाइन, लुक, प्रेजेंटेशन बहुत अलग था. सिनेमेटोग्राफी, लाइटिंग, एडिटिंग और नैरेटिव डिज़ाइन का टेक्सचर ऑथेंटिसिटी क्रिएट करने पर था. माहौल ऐसा था कि कम पॉपुलर एक्टर्स के सीन, बीच से किसी को दिखा दिए जाएं तो वो इसे डॉक्यूमेंट्री समझ बैठे. पहले सीजन के डायरेक्टर और क्रिएटर रिची मेहता थे. दूसरे सीजन में उनकी जगह तरुण चोपड़ा डायरेक्टर बने. शो के टेक्सचर में बदलाव तो आप दूसरे सीजन में भी नोटिस कर लेंगे, मगर कहानी कहने की गंभीरता पहले सीजन जैसी ही थी. बल्कि दूसरे सीजन में कॉप्स के किरदारों की ह्युमन साइड भी खोजी गई. उनके घर-परिवार, पर्सनल रिश्ते कहानी का हिस्सा बने.

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