
CrPC Section 135: आदेश का पालन करने या कारण बताने से संबंधित है ये धारा
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सीआरपीसी की धारा 135 (Section 135) में उस व्यक्ति के बारे में प्रावधान किया गया है, जिसे आदेश का पालन करने या कारण बताने के लिए संबोधित किया जाता है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 135 इस बारे में क्या बताती है?
Code of Criminal Procedure: न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) से संबंधित कई प्रकार के प्रावधान (Provision) दंड प्रक्रिया संहिता में मिलते हैं, जिनका प्रयोग आवश्यकतानुसार किया जाता है. इसी प्रकार सीआरपीसी की धारा 135 (Section 135) में उस व्यक्ति के बारे में प्रावधान किया गया है, जिसे आदेश का पालन करने या कारण बताने के लिए संबोधित किया जाता है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 135 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 135 (CrPC Section 135) दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 135 (Section 135) में उस व्यक्ति के बारे में बताया गया है, जिसे आदेश का पालन करने या कारण बताने के लिए संबोधित किया जाता है. CrPC की धारा 135 के मुताबिक, जिस व्यक्ति को आदेश संबोधित है बह उसका पालन करेगा या कारण दर्शित करेगा-
वह व्यक्ति (Person) जिसके विरुद्ध ऐसा आदेश (Order) दिया गया है, (क) उस आदेश द्वारा निदिष्ट कार्य (Assigned task) उस समय के अंदर और उस रीति (Manner) से करेगा जो आदेश में विनिर्दिष्ट (Specified in the order) है. अथवा (ख) उस आदेश के अनुसार (Accordance with such order) हाजिर (Appear) होगा और उसके विरुद्ध कारण दर्शित (Show cause) करेगा.
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क्या है सीआरपीसी (CrPC) सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

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