Business idea: मुर्गे के पंख से कपड़े बनाने का आया आइडिया, खड़ी कर दी करोड़ों की इंडस्ट्री
AajTak
जयपुर के असनावर में 1200 बुनकर मुर्गे के पंखों से कपड़ा बनाने का काम करते हैं. इन बुनकरों को महीने में 8000 से 12000 रुपये तक मिलता है. आज जहां ज्यादातर कंपनियां समय और पैसे की बचत के लिए मशीनों पर शिफ्ट हो चुकी हैं. ऐसे में मुदिता और राधेश का लक्ष्य है ज्यादा से ज्यादा बुनकरों को अपने साथ जोड़ना.
कचरे से खाद या कचरे से बिजली बनने के बारे में तो हम सब जानते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि हम जो कपड़े पहनते हैं वो भी कचरे से बनाए जा सकते हैं. कचरा भी घर से निकला वेस्ट नहीं बल्कि मुर्गे-मुर्गियों के पंख का वो कूड़ा, जिसे कोई छूना तक नहीं चाहता लेकिन उससे तैयार हो रहा है बेहद ही मुलायम फैब्रिक.
जी हां, ये कर दिखाया है कि जयपुर के दंपति मुदिता और राधेश ने. कॉलेज में आया एक आइडिया इस जोड़े ने अपनी मेहनत और जुनून से एक कंपनी में तब्दील कर दिया और आज इस कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में है.
कॉलेज के प्रोजेक्ट से हुई थी शुरुआत
मुदिता एंड राधेश प्राइवेट लिमिटेड की डायरेक्टर मुदिता ने बताया कि वो जब राधेश के साथ भारतीय शिल्प और डिजाइन संस्थान, जयपुर से एमए कर रही थीं तो उन्हें कचरे से नया सामान बनाने का प्रोजेक्ट दिया गया. प्रोजेक्ट के बारे में सोचते हुए एक दिन राधेश पड़ोस की कसाई की दुकान पर खड़े थे. वहां उन्होंने मुर्गे के पंखों को अपने हाथ से छुआ. उन्होंने उसी समय कसाई से बात की और इस कचरे के बारे में पूछा जो कि हर रोज भारी मात्रा में दुकान से निकाला जा रहा था.
दिमाग में यही बात लिए, राधेश और मुदिता ने लंबी रिसर्च के बाद इसे ही अपना प्रोजेक्ट बना लिया जो बाद में इनके जीवन का लक्ष्य भी बन गया. राधेश बताते हैं कि महज 16 हजार रुपये से उन्होंने ये काम शुरू किया था, जिसने समय के साथ बड़ा रूप ले लिया है. पिछले ढाई साल में कंपनी ने करीब 7 करोड़ का बिजनेस किया और वर्तमान में कंपनी का सलाना टर्नओवर 2.5 करोड़ का है.