Buddha Purnima 2022: बुद्ध के घर छोड़ने के बाद पत्नी यशोधरा का क्या हुआ, दोनों दोबारा मिले थे?
AajTak
Buddha Purnima 2022: शादी के 13 साल बाद जब यशोधरा ने अपनी इकलौती संतान को जन्म दिया तब सिद्धार्थ शाही जीवन त्यागने का फैसला कर चुके थे. उन्होंने अपने बेटे का नाम राहुला रखा था जिसका मतलब होता है 'बाधा'. दरअसल राजा सिद्धार्थ को लगा कि उनकी यह संतान उन्हें पत्नी के साथ बंधे रहने के लिए मजबूर कर सकती है और उनके आत्मज्ञान की खोज में बाधा डाल सकती है.
Buddha Purnima 2022: इक्ष्वाकु के वंशज और कोलिय वंश के राजा सुप्पाबुद्ध और रानी पामिता की बेटी यशोधरा सुंदरता और करुणा की मूरत थी. दूसरी तरफ, शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन और महारानी मायादेवी भी लुम्बिनी वन में एक संतान को जन्म दे चुके थे, जिसका नाम सिद्धार्थ पड़ा और जिसे बाद में दुनिया ने महात्मा बुद्ध के नाम से जाना.
यशोधरा-सिद्धार्थ का विवाह ऐसा कहा जाता है कि जब रानी मायादेवी ने सिद्धार्थ को गर्भ में धारण किया था, तब उन्हें छह दांतों वाले एक सफेद हाथी के गर्भ में प्रवेश करने का सपना आया था. उस दौर में कोलिय और शाक्य वंश से मेल खाने वाला कोई तीसरा शाही परिवार नहीं था. इसलिए इन दोनों वंशों के बीच ही शादी-विवाह होने की परंपरा थी. यही कारण है कि आगे चलकर यशोधरा का विवाह अपनी ही बुआ के बेटे राजा सिद्धार्थ से हुआ.
यशोधरा का विवाह जब राजा सिद्धार्थ से हुआ, तब दोनों की उम्र 16 साल थी. यशोधरा अपने पति के कामकाज और उनके मन की उलझनों का पूरा ख्याल रखती थीं. जब भी राजा सिद्धार्थ आम आदमी के दुखों और वास्तविकता का पता लगाने कहीं बाहर जाते तो यशोधरा हमेशा उनके साथ रहतीं. लोगों की चिंताओं को लेकर दोनों आपस में चर्चा भी करते थे.
सिद्धार्थ का शाही जीवन त्यागने का फैसला यशोधरा को कई मौकों पर सिद्धार्थ के संन्यासी जीवन अपनाने को लेकर चेतावनी मिल चुकी थी. यहां तक कि यशोधरा के पिता ने उन्हें सिद्धार्थ के शाही जीवन त्यागने और सांसारिक सुखों को छोड़ने को लेकर आगाह किया था. यशोधरा भी अपने पति के संन्यासी जीवन के प्रति उत्सुकता को पहचान गई थीं. सिद्धार्थ को डर सताता था कि दूसरे लोगों की तरह वह भी एक दिन मानव जीवन की समस्याओं जैसे- बीमारियों, बुढ़ापा और मृत्यु का शिकार हो जाएंगे.
जब यशोधरा ने दिया इकलौती संतान को जन्म शादी के 13 साल बाद जब यशोधरा ने अपनी इकलौती संतान को जन्म दिया, तब सिद्धार्थ शाही जीवन त्यागने का फैसला कर चुके थे. उन्होंने अपने बेटे का नाम राहुल रखा था. दरअसल, राजा सिद्धार्थ को लगा कि उनकी यह संतान उन्हें पत्नी के साथ बंधे रहने के लिए मजबूर कर सकती है और उनके आत्मज्ञान की खोज में बाधा डाल सकती है.
आत्मज्ञान की खोज में निकल पड़े सिद्धार्थ जब यशोधरा को पता चला कि उनके पति शाही और पारिवारिक जीवन को त्यागकर आत्मज्ञान की खोज में निकल पड़े हैं तो वह हैरान रह गईं. हालांकि, इस दुख को बर्दाश्त करने के लिए उन्होंने खुद को तैयार कर लिया था और एक बहादुर महिला बनकर पति के फैसले को स्वीकार किया. जो लोग यशोधरा को दया की दृष्टि से देखते, उन्हें यशोधरा का एक ही जवाब होता, 'हमें जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के लिए छोटी-छोटी चीजों का त्याग करना पड़ता है.' छह वर्षों के दौरान जब सिद्धार्थ यशोधरा के पास नहीं थे, तब उन्हें पति के शाही लिबास छोड़ने और दिन में एक बार भोजन करने जैसी बातों का पता चलता रहता.
Apple WWDC 2024 इवेंट की शुरुआत आज से होने जा रही है, जो 14 जून तक चलेगा. इस इवेंट के तहत कई बड़े ऐलान हो सकते हैं, जिसमें AI, iOS 18, Siri, MacOS तक का नाम का शामिल है. इस इवेंट में नए ऑपरेटिंग सिस्टम और उनके नए फीचर्स का ऐलान होगा. साथ ही कंपनी बता सकती है कि उन्होंने अपने कोर Apps में AI को इंटीग्रेट किया है और वह कैसे लोगों का काम बेहतर बनाने में मदद करेंगे. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.
ज्वॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (JOSAA) ने आज (10 जून) से काउंसलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए हैं. जिन कैंडिडेट्स ने जेईई मेन्स और एडवांस्ड की परीक्षा पास की है, वे कॉलेज में दाखिले के लिए पहले राउंड का रजिस्ट्रेशन करवा लें. आइए जानते हैं च्वॉइस फिलिंग से लेकर, सीट एलोकेशन तक की जरूरी तारीखें क्या हैं.
NEET UG Result 2024 Controversy: याचिका में स्टूडेंट्स ने कई सवाल उठाए हैं जैसे- पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या (67) में स्टूडेंट्स कैसे आ गए? स्टूडेंटस को 720 में से 718, 719 नंबर कैसे दिए? क्योंकि स्टूडेंट्स सारे सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते और एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग की वजह से अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक.
NEET Result Controversy 2024: एनटीए महानिदेशक का कहना है कि हमने सभी चीजों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया है और परिणाम जारी किए हैं. 4750 केंद्रों में से यह समस्या 6 केंद्रों तक सीमित है और 24 लाख छात्रों में से केवल 1563 छात्रों को इस समस्या का सामना करना पड़ा है. पूरे देश में इस परीक्षा की अखंडता से समझौता नहीं किया गया. कोई पेपर लीक नहीं हुआ. पूरी परीक्षा प्रक्रिया बहुत पारदर्शी रही है.