
BNP में नई पीढ़ी की सियासी दस्तक... 17 साल बाद बांग्लादेश लौटीं खालिदा जिया की पोती जैमा रहमान
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तारिक़ रहमान के साथ 17 साल बाद बांग्लादेश लौटीं उनकी बेटी जैमा रहमान की राजनीति में एंट्री की चर्चाएं तेज हो गई हैं. लंदन में वकालत कर चुकी जैमा को BNP में युवा चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है, खासकर 2026 के चुनाव से पहले.
"मैं अपनी जड़ों को कभी भूल नहीं पाई." यह शब्द जैमा रहमान ने हाल ही में फेसबुक पोस्ट में लिखे थे. इसी भाव के साथ जैमा अपने पिता और BNP के कार्यकारी प्रमुख तारिक़ रहमान के साथ 17 साल बाद बांग्लादेश लौटी हैं. इस वापसी ने बांग्लादेश की राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है.
लंदन से ढाका लौटते समय एयरपोर्ट और सड़कों पर तारिक़ रहमान के स्वागत की भव्य तस्वीरें सामने आईं. इसी बीच ज़ैमा रहमान की मौजूदगी भी लोगों की नजर में आई, जिसे उनकी राजनीति में शांत लेकिन अहम एंट्री के तौर पर देखा जा रहा है. जैमा अपनी मां जुबैदा रहमान के साथ गुलशन एवेन्यू स्थित पारिवारिक आवास पहुंचीं.
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जैमा रहमान, पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा ज़िया की पोती और दिवंगत राष्ट्रपति जियाउर रहमान की नातिन हैं. वह ब्रिटेन से बैरिस्टर हैं और बीते 17 वर्षों से अधिक समय तक राजनीति से दूर रहीं. अब, जब बांग्लादेश फरवरी 2026 में आम चुनावों की ओर बढ़ रहा है, BNP उन्हें पार्टी के लिए एक नए और युवा चेहरे के तौर पर देख रही है.
तारिक रहमान की छवि पर उठ चुके हैं सवाल
तारिक रहमान की छवि पर लंबे समय से भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में जैमा को पार्टी के नवीनीकरण और युवाओं से जुड़ाव के प्रतीक के रूप में आगे लाया जा सकता है. BNP पहले से ही युवाओं को साधने की रणनीति पर काम कर रही है.

50 दिन बाद होने वाले बांग्लादेश आम चुनाव के लिए सभी बड़ी पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हैं. लेकिन, इन सबके बीच एक्टिव अमेरिकी डीप स्टेट से जुड़े एक संगठन की भूमिका कान खड़े करती है. इसके सर्वे मोहम्मद यूनुस को 'हीरो' और भारत का बांग्लादेश के लिए 'विलेन' बताने का काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं, सर्वे के मुताबिक बांग्लादेश में हिंदू और मुसलमान बराबर के खुश-नाखुश हैं.

तारिक की बांग्लादेश वापसी में खास प्रतीकात्मकता थी. जब वो ढाका एयरपोर्ट से बाहर आए तो उन्होंने जूते उतारकर थोड़ी देर के लिए जमीन पर खड़े हुए और हाथ में मिट्टी उठाई . ये असल में अपने देश के प्रति सम्मान दिखाने का तरीका था. उन्होंने रिसेप्शन में साधारण प्लास्टिक की कुर्सी को चुना और विशेष कुर्सी हटा दी, जो पिछले समय के भव्यता और 'सिंहासन मानसिकता' से दूरी दिखाता है.

गुजरात में 1474 के युद्ध में तीतर की रक्षा के लिए राजपूतों, ब्राह्मणों, ग्वालों और हरिजनों की एकजुट सेना ने चाबड़ जनजाति के शिकारीयों से लड़ाई लड़ी, जिसमें 140 से 200 लोग मारे गए. यह घटना भारतीय सभ्यता में शरण देने और अभयदान की परंपरा को दिखाती है. बांग्लादेश जो बार-बार हसीना को सौंपने की मांग कर रहा है, उसे भारत के इतिहास के बारे में थोड़ी जानकारी ले लेनी चाहिए.

खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान सत्रह साल बाद बांग्लादेश लौटे हैं. वे लंबे समय तक लंदन में निर्वासित रह चुके थे और अब राजनीति में अहम भूमिका निभाने की तैयारी में हैं. तारिक ने अपनी मातृभूमि लौटकर एक बड़े जनसमूह के बीच रोड शो किया जहां लाखों कार्यकर्ताओं ने उन्हें सम्मानित किया. हाल ही में देश में राजनीतिक हलचल तेज हुई है. शेख हसीना की पार्टी चुनाव से बाहर हुई है और बीएनपी मजबूत दावेदार बनकर उभरी है.









