
BJP से रार, नीतीश से प्यार... मुकेश सहनी के बयान पर JDU की मौन सहमति के क्या हैं मायने?
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बिहार में बीजेपी और जेडीयू भले ही मिलकर सरकार चला रहे हैं, लेकिन दोनों ही दलों के बीच सियासी रस्साकशी भी चल रही है. बिहार चुनाव के बाद से भी दोनों ही दल अपने-अपने सियासी आधार को बढ़ाने में जुटे हैं. ऐसे में बीजेपी से अलग हो चुके वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने कहा कि वो भले ही एनडीए के साथ नहीं हैं, लेकिन नीतीश कुमार के साथ हैं. नीतीश के साथ क्या सहनी की दोस्ती बढ़ रही है.
बिहार की सियासत में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन में बीजेपी और जेडीयू के बीच रिश्ते लगातार तल्ख होते जा रहे हैं. पटना में बीजेपी अपने विभिन्न मोर्चों की संयुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर 200 विधानसभा सीटों के लिए रूप रेखा तैयार की है तो इसके जवाब में जेडीयू ने कहा है कि उसकी तैयारी सभी 243 सीटों के लिए है. इसी कड़ी में वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने बयान दिया है कि वो भले ही एनडीए में नहीं हैं, लेकिन नीतीश कुमार के साथ हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बिहार की सियासत में क्या सियासी खिचड़ी पक रही?
वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने मंगलवार को आरजेडी नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी बिना सहारे के बिहार में नहीं जीत सकती. वीआइपी भले ही आज एनडीए में नहीं है, लेकिन हम नीतीश कुमार के साथ है. उन्होंने यह भी कहा कि वे लालू प्रसाद के विचारों के वे प्रशंसक रहे हैं. सहनी ने कहा कि उनकी पार्टी किसी जाति विशेष की नहीं बल्कि सभी जातियों की है.
बता दें कि मुकेश सहनी ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और चार सीटें जीतने में कामयाब रहे थे, लेकिन बाद में बीजेपी ने उनके जीते हुए विधायकों को अपने साथ मिला लिया था. इसके चलते सहनी को मंत्री पद छोड़ना पड़ा और एनडीए से बाहर हो गए थे, लेकिन अब नीतीश कुमार के साथ खड़े होने का वो दावा कर रहे हैं. यह बात ऐसे समय कही है जब जेडीयू और बीजेपी के बीच रिश्ते में कड़वाहट दिख रही है और दोनों ही पार्टियां अपने-अपने दम पर बिहार में खड़े होने के लिए बेताब हैं.
मुकेश सहनी ने एक तरफ तो आरजेडी के कोसी प्रक्षेत्र के नेता मिथिलेश विजय यादव को अपनी पार्टी की सदस्यता दिलाई तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार के साथ खड़े होने की बात कह रहे हैं. ऐसे में मुकेश सहनी क्या नीतीश कुमार के साथ दोस्ती का हाथ तो नहीं बढ़ा रहे हैं, क्योंकि बीजेपी के साथ उनके रिश्ते खराब हैं और आरजेडी के दरवाजे उनके लिए बंद हैं. ऐसे में मुकेश सहनी के लिए नीतीश कुमार के रूप में एक विकल्प नजर आ रहा है.
नीतीश क्या सहनी को अपने साथ जोड़ेंगे?
सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी की मर्जी के बगैर जिस तरह जीतनराम मांझी की पार्टी HAM को अपने साथ मिला रखा है और उनके बेटे को अपने कोटे से मंत्री भी बनाया. इसके अलावा बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले उपेंद्र कुशवाहा भी अपने साथ जोड़ लिया है. ऐसे में नीतीश कुमार क्या मांझी और कुशवाहा की तरह मुकेश सहनी को भी अपने साथ जोड़ने का कदम उठाएंगे.

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