![8 महीने की प्रैक्टिस और फर्राटेदार पंजाबी बोलकर आमिर खान बन गए 'लाल सिंह चड्ढा'](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202208/aamir_kulwinder-sixteen_nine.jpg)
8 महीने की प्रैक्टिस और फर्राटेदार पंजाबी बोलकर आमिर खान बन गए 'लाल सिंह चड्ढा'
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बॉलीवुड में एक्सप्रेशन और डायलेक्ट कोच कुलविंदर बख्शी के लिए आमिर खान को पंजाबी एक्सेंट सिखाना आसान नहीं था. लेकिन आमिर खान तो मिस्टर परफेक्शनिस्ट हैं, उन्होंने 8 महीनों में पंजाबी बोलनी सीखी और 'लाल सिंह चड्ढा' बन गए.
आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा बॉक्स ऑफिस पर भले ही कोई खास कामयाबी हासिल न कर सकी हो लेकिन तमाम समीक्षकों ने फिल्म में आमिर की एक्टिंग खासकर उनकी पंजाबी वेशभूषा, भाषा, संवाद अदायगी को भरपूर सराहा है. दरअसल ये ऐसी चीज है जिसपर आमिर ने फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले महीनों मेहनत की थी. उनके इस काम में साथ दिया बॉलीवुड में एक्सप्रेशन और डायलेक्ट कोच कुलविंदर बख्शी ने. aajtak.in ने कुलविंदर से बात की.
कुलविंदर को लाल सिंह चड्ढा कैसे मिली? कुलविंदर को लाल सिंह चड्ढा उनके एक दोस्त के जरिए मिली. ये साढ़े चार साल पुरानी बात है. कुलविंदर याद कर बताते हैं कि हमारे एक दोस्त हैं अंशुमान झा उन्होंने मुझे कॉल कर कहा कि आमिर खान किसी को ढूंढ रहे हैं, जो उन्हें पंजाबी डायलेक्ट सीखने में मदद करे. इस तरह से मेरा आमिर संग मुलाकात का सिलसिला शुरू हुआ. मैं जब उनसे मिलने गया, तो मेरे जेहन में आमिर के सुपरस्टार वाली छवि थी. मिलने के दो मिनट बाद ही वो छवि पीछे छूट गई. आमिर इतने सिंपल और डाउन टू अर्थ हैं कि आप भूल जाते हैं कि वो इतने बड़े परफेक्शनिस्ट कहे जाते हैं. उन्होंने मुझे कहा कि आप मुझे पंजाबी सिखाएंगे. फिर हिंदी स्क्रिप्ट देते हुए कहा कि इसे पंजाबी के डायलेक्ट में बोल कर दिखाएं. यहां से सिलसिला शुरू हुआ और फिल्म रिलीज होने तक अगले साढ़े चार साल तक चला.
आमिर ने पंजाबी कैसे सीखी इसकी भी दिलचस्प कहानी है. इसके लिए कुलविंदर को उन्होंने अपने साये की तरह साथ रखा. कुलविंदर बताते हैं कि आमिर की खासियत यह है कि कुछ चीजें समझ नहीं आएं, तो वो फौरन खुद को सरेंडर कर देंगे. एक बात को दस बार पूछेंगे. हमने वर्कशॉप के साथ शुरुआत की थी. फिर पर्सनल सेशन की ओर बढ़े. वो जिम करने जाते थे, तो मुझसे कहते थे कि चलिए मेरे साथ, मैं ट्रेड मिल पर भागूंगा आप मुझे लाइन्स की तैयारी करवाइयेगा. जब तक चीजें ठीक नहीं हो जातीं, वो आगे बढ़ते ही नहीं थे. मैं उनके साथ साये की तरह रहने लगा. शूटिंग के दौरान सेट पर भी मैं होता था. शूटिंग से वापस होटल आ जाएं, तो अगले दिन के लिए भी हम प्रेप वर्क शुरू कर देते थे. मुझे लग नहीं रहा था कि मैं फिल्म कर रहा हूं, मैं तो समझ रहा था थिएटर चल रहा है.
आमिर को पंजाबी सिखाने में सबसे बड़ा चैलेंज क्या था? कुलविंदर के लिए आमिर को सिखाना आसान नहीं था, क्योंकि आमिर जब तक परफेक्शन नहीं हासिल कर लेते तब तक आगे नहीं बढ़ते. कुलविंदर बताते हैं सबसे बड़ा चैलेंज था, कि आमिर ने कहा मुझे फिल्मों वाली नहीं ओरिजनल पंजाबी सीखनी है. अब पंजाबी भी तीन चार तरह की होती है. अमृतसर तरफ के लोग माझा, जालंधर की तरफ वहां द्वाबे बोलते हैं और नीचे तरफ मालवा पंजाबी बोली जाती है. तीनों की टोन में बहुत अंतर है. आमिर ने पूछा कि सबसे स्वीट वाली कौन सी है. हमने द्वाबे वाली पंजाबी चुनी. तीन महीने में उन्होंने लैंग्वेज सीख ली, लेकिन रीडिंग शुरू हुई, तो एक नई समस्या यह हो गई कि जो पंजाबी हैं, उन्हें उनका डायलॉग समझ आ रहा था लेकिन नॉन पंजाबी लोग समझ नहीं पा रहे थे. आमिर अड़ गए थे कि मैं तो पक्की पंजाबी बोलूंगा. फिर कोर टीम ने एक पंजाबी बोलने वाला आदमी हिंदी में कैसे एक्सप्लेन करेगा, उस ओर काम करना शुरू किया. इसे अचीव करने में हमारे करीब आठ महीने बीते.
फिल्म रिलीज के बाद आमिर खान को फैंस व क्रिटिक्स से मिक्स रिएक्शन मिले. कई पंजाबियों ने उनके एक्सप्रेशन और लैंग्वेज पर आपत्ति जताई. हालांकि कुलविंदर कहते हैं कि मैं खुद सिख स्कॉलर हूं. पंजाबी हूं. फिल्म बनने के बाद हमने गुरुद्वारा सिख कम्युनिटी को दिखाई. उसमें 80 प्रतिशत मेंबर फिल्म देखकर रो रहे थे. मैं तो कहूंगा कि बॉलीवुड में कभी भी सिख कैरेक्टर को ढंग से दिखाया ही नहीं गया है. उनका हमेशा मजाक ही बना है. उनका इमोशन क्या है, उनकी जीवनशैली कैसी है, वो लाल सिंह चड्ढा में इतनी बारीकी से दिखाया गया है कि मुझे नहीं लगता किसी को कोई दिक्कत होनी चाहिए.
गौरतलब है कि कुलविंदर बख्शी पिछले सात साल से बॉलीवुड में एक्सप्रेशन और डायलेक्ट कोच का काम कर रहे हैं. ग्वालियर के रहने वाले कुलविंदर बचपन से एक्टिंग के शौकीन रहे हैं. उन्होंने कई थिएटर प्ले डायरेक्ट भी किए हैं. मकरंद देशपांडे की शागिर्दी में कुलविंदर ने अपनी ट्रेनिंग ली. कुलविंदर अपने पहले डायरेक्टोरियल प्ले जनरस वॉरियर के लिए थिएटर का नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुके हैं. इंटरनेशनल एक्टर माइकल केन के साथ भी छह महीने का वर्कशॉप भी किया है. इंडिया में वापसी करने के बाद कुलदीप ने सबसे पहले सुशांत सिंह राजपूत को ट्रेन किया था. सुशांत की पहली फिल्म काय पोछे के दौरान कुलविंदर उनके साथ जुड़े थे. धोनी, ब्योमकेश जैसी फिल्मों के लिए कुलविंदर सुशांत के परफॉर्मेंस कोच रह चुके हैं.
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