335 लोगों की मौत, 8 हजार करोड़ का नुकसान और... बारिश ने हिमाचल को दिए गहरे जख्म
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इस साल बरसात ने हिमाचल में कहर बरपाया है. 24 जून से लेकर अब तक 335 लोगों की मौत हो चुकी है. 38 लोग लापता हैं. 222 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. प्रदेश में अब तक करीब 8014 करोड़ से ज्यादा का नुकसान आंका गया है. आपदा को देखते हुए सरकार ने राज्य आपदा घोषित करने का फैसला लिया है.
इस साल बरसात ने हिमाचल को गहरे जख्म दिए हैं. प्रदेश में 24 जून से लेकर अब तक 335 लोगों की मौत हो चुकी है. 38 लोग अभी भी लापता हैं. करीब 8014 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है. 7 से 10 जुलाई तक बारिश ने भारी कहर बरसाया. कुल्लू, मनाली, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन में सबसे ज्यादा नुकसान देखने को मिला. 13 अगस्त से 15 अगस्त तक शिमला, सिरमौर, सोलन, मंडी, कांगड़ा में बारिश ने कहर बरसाया. प्रदेश में हुए भारी नुकसान को देखते हुए सरकार ने प्रदेश को प्राकृतिक आपदा क्षेत्र घोषित कर दिया है.
प्रदेश के राजस्व सचिव ओंकार शर्मा ने कहा कि प्रदेश में इस बार बरसात में भारी नुकसान हुआ है. 24 जून से लेकर अब तक प्रदेश में 335 लोगों की मौत हो चुकी है. 38 लोग लापता हैं. इसके अलावा 222 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. 10 हजार मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. यही नहीं प्रदेश में अब तक करीब 8014 करोड़ से ज्यादा का नुकसान आंका गया है. यह नुकसान 10 हजार करोड़ से ज्यादा तक पहुंच सकता है.
13 अगस्त से लेकर अब तक 79 लोगों की मौत
उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस बरसात में 7 से 10 जुलाई तक भारी बारिश का जो स्पेल रहा, उसमें मंडी कुल्लू सहित कई जिलों में भारी नुकसान देखने को मिला. इसके अलावा 13 अगस्त से 15 अगस्त तक भी भारी बारिश हुई. 13 अगस्त से लेकर अब तक 79 लोगों की जान जा चुकी है. शिमला शहर में 23 लोगों की मौत हुई है. शिमला के समरहिल में शिव मंदिर पर लैंडस्लाइड होने से अब तक 16 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं. जबकि फागली में 5 और कृष्णा नगर में दो की मौत हुई है.
2000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया
उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार ने मॉनसून से निपटने के लिए पहले से ही पूरी तैयारी कर ली थी. यही वजह है कि मानसून के दौरान जो आपदा आई, उससे निपटने में काफी ज्यादा मदद मिली. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया. कांगड़ा में ही 2000 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया. मंडी में 700 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था.
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