
11 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर CBI को याद दिलाया 'पिंजरे में बंद तोता'
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सुप्रीम कोर्ट की सीबीआई को लेकर ये टिप्पणी इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि ठीक 11 साल और 4 महीने पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की टिप्पणी की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोता' बताया था.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को जमानत दे दी. लेकिन 11 साल बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की याद दिला दी. केजरीवाल को जमानत देते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई को पिंजड़े में बंद तोते की छवि से बाहर आना होगा और दिखाना होगा कि अब वह पिंजरे में बंद तोता नहीं रहा.
ये टिप्पणी इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि ठीक 11 साल और 4 महीने पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की टिप्पणी की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोता' बताया था. और अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को इस छवि से मुक्त दिखना चाहिए.
केजरीवाल की जमानत का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस भुइंया ने कहा, 'सीबीआई इस देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है. इसी में सबकी भलाई है कि सीबीआई को न केवल सबसे ऊपर होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए. किसी भी धारणा को दूर करने के हर मुमकीन कोशिश की जानी चाहिए कि जांच और गिरफ्तारी निष्पक्ष रूप से की गई थी. कुछ समय पहले इस अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाई थी और इसकी तुलना पिंजरे में बंद तोते से की थी, इसलिए अब जरूरी है कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करे.'
11 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच ने 9 मई 2013 को सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था. सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त कोयला घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई हो रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था, 'सीबीआई वो तोता है जो पिंजरे में कैद है. इस तोते को आजाद करना जरूरी है. सीबीआई एक स्वायत्त संस्था है और उसे अपनी स्वायत्ता बरकरार रखनी चाहिए. सीबीआई को एक तोते की तरह अपने मास्टर की बातें नहीं दोहरानी चाहिए.'

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