
100 केस, 44 साल के जुर्म का इतिहास, ये है माफिया डॉन अतीक अहमद की पूरी क्राइम कुंडली
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Atiq Ahmed Crime Record: माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद के नाम पर 1985 से अब तक 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. जबकि 50 मामलों में वह विचाराधीन हैं. 12 अन्य मामलों में वह बरी हो चुका है, जबकि दो मामले साल 2004 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने वापस ले लिए थे. वहीं, अतीक के भाई अशरफ के नाम पर 53 मुकदमे दर्ज हैं. जिनमें से एक में उसे बरी कर दिया गया है. जबकि अन्य पर विचार चल रहा है. कुल मिलाकर अतीक एंड फैमिली के खिलाफ 165 केस चल रहे हैं.
माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को भारी सुरक्षा के बीच सोमवार को प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल लाया गया. प्रयागराज पुलिस और विशेष कार्य बल (STF) की टीम रविवार शाम अतीक अहमद को गुजरात के साबरमती जेल से लेकर प्रयागराज के लिए रवाना हुई थी. वहीं, पुलिस की एक दूसरी टीम अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज के केंद्रीय जेल लाई. 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण मामले में आरोपियों को 28 मार्च यानी आज अदालत में पेश किया जाना है. अदालत इस मामले में फैसला सुरक्षित रख चुकी है और आज सजा का ऐलान हो सकता है.
यूपी का बाहुबली माफिया डॉन अतीक अहमद गुजरात की साबरमती जेल में बंद था. उस पर 2004 में तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का आरोप है. साथ ही राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल का अपहरण कराने और फिर इसी साल उसकी हत्या कराने के मामले में भी माफिया अतीक और उसके परिवार के सदस्यों पर एफआईआर दर्ज है.
बीती 24 फरवरी को अतीक के इशारे पर ही उमेश पाल को प्रयागराज में दिनदहाड़े उमेश पाल को गोलियों से भून दिया गया था. हमले में उमेश पाल और उसके दोनों गनर मारे गए. अतीक पर इस तरह के संगीन जुर्म का ये इल्जाम पहला नहीं है, इससे पहले भी कई मामलों में उसके नाम का जिक्र आता रहा है. आइए, जान लेते हैं पूर्व बाहुबली विधायक और सांसद अतीक अहमद पूरी क्राइम कुंडली...
17 की उम्र में लगा था हत्या का आरोप अतीक अहमद की कहानी का आगाज साल 1979 से होता है. उस वक्त इलाहाबाद के चाकिया मोहल्ले में फिरोज अहमद का परिवार रहता था, जो तांगा चलाकर परिवार का गुजर-बसर करते थे. फिरोज का बेटा अतीक हाईस्कूल में फेल हो गया था. इसके बाद पढ़ाई लिखाई से उसका मन हट गया. उसे अमीर बनने का चस्का लग गया. इसलिए वो गलत काम धंधे में पड़ गया और रंगदारी वसूलने लगा. महज 17 साल की उम्र में उसके सिर हत्या का आरोप लग चुका था. उस समय पुराने शहर में चांद बाबा का दौर था. पुलिस और नेता दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहते थे. लिहाजा, अतीक अहमद को पुलिस और नेताओं का साथ मिला. लेकिन आगे चलकर अतीक अहमद, चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक साबित हुआ.
गेस्ट हाउस कांड में अतीक अहमद का नाम अतीक अहमद का नाम जून 1995 में लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड के मुख्य आरोपियों में से एक था, जिन्होंने मायावती पर हमला किया था. मायावती ने गेस्ट हाउस कांड के कई आरोपियों को माफ कर दिया था, लेकिन अतीक अहमद को नहीं बख्शा. मायावती के सत्ता में आने के बाद अतीक अहमद की उल्टी गिनती शुरू हुई तो जब-जब बसपा सरकार में आई, अतीक हमेशा उनके निशाने पर रहा. मायावती शासन काल में अतीक अहमद पर कानूनी शिकंजा कसने के साथ-साथ उसकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने से लेकर कई बड़ी कार्रवाई हुई थी. यूपी में मायावती सरकार के दौरान अतीक अहमद जेल की सलाखों के पीछे ही रहा. बसपा के दौर में अतीक का दफ्तर गिरवाने के साथ-साथ उसकी संपत्तियां जब्त करवा कर उसे जेल भेजा गया था और प्रयागराज में उसकी राजनीतिक पकड़ को कमजोर ही नहीं बल्कि पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था.
साल 2004 - सांसद बन गया था अतीक दरअसल, इस हमले और हत्याकांड को समझने के लिए हमें करीब 19 साल पीछे जाना होगा. देश में आम चुनाव हो चुका था. यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से बाहुबली नेता अतीक अहमद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी. इससे पहले अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक थे. लेकिन उनके सांसद बन जाने के बाद वो सीट खाली हो गई थी. कुछ दिनों बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ. इस सीट पर हुए सपा ने सांसद अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने अशरफ के सामने राजू पाल को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया. जब उपचुनाव हुआ तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया.

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