
'हाथ से हाथ जोड़ो' भारत जोड़ो यात्रा की सफलता है या फिर मायूसी? : आज का दिन, 25 जनवरी
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कांग्रेस की हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा का मकसद क्या है, क्या उपेंद्र कुशवाहा के पाला बदलने से बिहार की राजनीति में फ़र्क़ पड़ेगा और भारत के लिए ODI सीरीज की पॉजिटिव और निगेटिव बातें क्या रहीं? सुनिए 'आज का दिन' में.
जो निरक्षर हैं, पढ़ने में सक्षम नहीं, वे भी चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें, इसलिए इलेक्शन सिम्बल्स यानी चुनावी चिह्नों का सहारा लिया गया था. ये सिंबल पोलिटिकल पार्टीज समय के साथ बदलती रहीं. दो बैलों की जोड़ी, फिर गाय बछड़ा से होते हुए कांग्रेस के हाथ चुनावी चिह्न पंजा आया, ये 1977 की बात है. तब से अब तक कई सावन और भादो पार्टी ने देखें हैं, लेकिन सिंबल पार्टी का यही रहा. अब कांग्रेस इसी पंजे को लेकर देश भर में एक जनसम्पर्क यात्रा की शुरुआत कर रही है. जिसको 'हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा' का नाम दिया गया है. कल से इसकी शुरुआत होनी है. लेकिन आज ही पार्टी एक ख़ास रणनीति के तहत इसको लेकर देश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी. राहुल गांधी की एक चिट्ठी है जिसमें महंगाई, बदहाल अर्थव्यवस्था, नौजवानों में बेरोजगारी और कुछ चुनिंदा लोगों के पास देश की सम्पत्ति होने जैसे मुद्दों को उठाया गया है.
पार्टी का लक्ष्य अगले दो महीने में इस लेटर को ढाई लाख ग्राम पंचायतों, 6 लाख गाँवों और 10 लाख बूथ तक पहुंचाने का है. कांग्रेस पार्टी इस मुहिम को भारत जोड़ो यात्रा की ही अगली कड़ी बता रही है. सवाल है कि 30 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा अभी पूरी होगी. अभी पांच दिन बाकी ही है, ऐसे में उसकी एंडिंग से पहले ही दूसरे अभियान की शुरुआत, ये पहली की सफलता का उत्साह है या कुछ कोर कसर इस यात्रा की रह गई जो पार्टी अब इस तरफ बढ़ रही है? बग़ैर संगठन 13 राज्यों में कैसे हाथ से हाथ जोड़ेगी कांग्रेस? 'आज का दिन' पॉडकास्ट में सुनने के लिए क्लिक करें.
------------------------- बिहार के एक नेता हैं, उपेंद्र कुशवाहा. पटना से दिल्ली तक इन दिनों उनकी चर्चा है. फिलहाल वे एमएलसी यानी बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं. लेकिन कहा जा रहा है कि वे इससे ख़ुश नहीं. मीडिया रिपोर्ट्स में कुशवाहा को लेकर जितनी मुंह उतनी बातें हैं. महागठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से कुछ उन्हें नाराज़ बता रहे हैं. जबकि दूसरे कह रहे हैं कि कुशवाहा जल्द जदयू का साथ छोड़ और बीजेपी के बगलगीर बन सकते हैं. 1985 से शुरू हुए अपने राजनीतिक करियर में कुशवाहा लोकदल, जनता दल होते हुए 2013 में अपनी बनायी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी यानी रालोसपा के अध्यक्ष बने. राज्य से लेकर केंद्र के सभी सदनों की ख़ाक छान चुके कुशवाहा जब 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पूरी तरह फेल हुए तो जदयू लौट आएं. न सिर्फ ख़ुद आएं बल्कि अपनी पूरी पार्टी का भी जदयू में विलय कर लिया. जदयू में उन्हें नंबर दो की कुर्सी दी गई, संसदीय बोर्ड का उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. लेकिन अब वे जदयू को ही कमजोर हो रही पार्टी, कह रहे हैं. उन्हें लेकर इतना कन्फ्यूजन क्यों है और अब आगे वे किस तरफ बढ़ सकते हैं? 'आज का दिन' पॉडकास्ट में सुनने के लिए क्लिक करें.
---------------------------------- भारत ने कल इंदौर में खेले गए तीसरे वनडे मैच में न्यूज़ीलैंड को 90 रन से हराकर सीरीज़ को 3-0 से अपने नाम कर लिया. भारत ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए नौ विकेट पर 385 रन बनाए. जवाब में न्यूज़ीलैंड की पूरी टीम 41 ओवर, 2 गेंद में 295 रनों पर ऑल आउट हो गई. भारत की ओर से शुभमन गिल और रोहित शर्मा ने शतक लगाया. एक और बदलाव हुआ कल की जीत हार से. ICC ODI रैंकिंग में भारतीय टीम अब नंबर 1 पर पहुंच गई है. इंग्लैंड की टीम दूसरे नंबर पर जबकि न्यूजीलैंड फिसल कर चौथे स्थान पर चली गई है. इस सीरीज़ में बैटिंग और बॉलिंग के लेवल पर इंडियन टीम के लिए कौन सी चीज़ें आगे के लिए उम्मीद जगाने वाली रहीं और कहां भारत को निराशा हाथ लगी? 'आज का दिन' पॉडकास्ट में सुनने के लिए क्लिक करें.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश कर रही हैं. निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह अमृतकाल का पहला बजट है. उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था सही दिशा में चल रही है और सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर है. निर्मला सीतारमण ने रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ का बजट पेश किया गया है. रेलवे की नई योजनाओं के लिए 75 हजार करोड़ का फंड का ऐलान किया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगी. भारत का यह बजट ऐसे समय पर पेश होने जा रहा है, जब दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की रफ्तार धीमी हो गई है. ट्रक में भरकर बजट की कॉपी संसद भवन लाई गईं. पहले संसद के बाहर कड़ा सिक्योरिटी चेक किया गया और उसके बाद ही कॉपियां अंदर ले जाई गईं. देखें ये वीडियो.

1971 में इंदिरा गांधी रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीती थीं. इस चुनाव में उनकी पार्टी को बड़ी जीत मिली थी. इंदिरा ने रायबरेली से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनरायण को मात दी. राजनरायण ने इंदिरा की जीत के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस केस में राजनरायण की ओर से शांति भूषण ने पैरवी की. हाईकोर्ट ने इंदिरा का चुनाव रद्द कर दिया.