हाई कोर्ट ने मनोज मुंतशिर संग 'आदिपुरुष' के निर्माता-निर्देशक को किया तलब, बनवाई कमिटी
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हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म के भूषण कुमार, ओम राउत और मनोज मुंताशीर को इन पर्सन तलब किया. आदेश में कहा गया है कि अगली तारीख को तीनों को खुद हाई कोर्ट में पेश होना होगा. साथ ही हाई कोर्ट ने पांच सदस्यों की कमिटी बनाने को भी कहा है. कमिटी में दो सदस्य वाल्मीकि रामायण के ज्ञाता होने चाहिए.
फिल्म 'आदिपुरुष' पर बैन लगाने के लिए दाखिल की गई याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश बड़ा दिया है. हाई कोर्ट ने याचिका की अगली सुनवाई पर फिल्म के निर्माता भूषण कुमार, निर्देशक ओम राउत और मनोज मुंतशिर को तलब किया है. आदेश के मुताबिक, तीनों को खुद कोर्ट में पेश होना होगा.
निर्माता-निर्देशक हों कोर्ट में पेश
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म के प्रोड्यूसर भूषण कुमार, ओम राउत और मनोज मुंतशिर को इन पर्सन तलब किया. आदेश में कहा गया है कि अगली तारीख पर, तीनों को हाई कोर्ट में पेश होना होगा. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने पांच सदस्यों की कमिटी बनाने को भी कहा है. कमिटी में दो सदस्य वाल्मीकि रामायण के ज्ञाता हों, जो ये देखें कि फिल्म में राम, सीता, हनुमान, रावण, विभीषण की पत्नी आदि को जिस तरह दिखाया गया क्या वो सही है. कमिटी को 15 दिन में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करनी है.
सेंसर बोर्ड को लगाई फटकार
इससे पहले भी हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा था, 'रामायण के कितने किरदार हैं, जिनकी पूजा की जाती है. उनको फिल्म में किस तरह से दिखाया गया है? फिल्म 16 जून को रिलीज हुई थी. अब तक कुछ नहीं हुआ तो तीन दिन में क्या होगा, लेकिन हम फिर भी छुट्टी में इसको सुन रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि वह फिल्म से आहत हुए हैं. कुछ ऐसे लोग भी हैं जो फिल्म पूरी नहीं देख पाए हैं. जो लोग भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी को मानते है, वे फिल्म देख ही नहीं पाएंगे.'
27 जून को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को फटकार लगाई थी. सेंसर बोर्ड की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कोर्ट ने पूछा था कि आपत्तिजनक दृश्यों, कपड़ों और सीन्स के बारे में क्या किया जा रहा है? अगर हम लोग इस पर भी आंख बंद कर लें क्योंकि ये कहा जाता है कि ये धर्म के लोग बड़े ही सहिष्णु हैं तो क्या उसका टेस्ट लिया जाएगा? क्या यह सहनशीलता की परीक्षा है? यह कोई प्रोपेगेंडा के तहत की गई याचिका नहीं है. क्या सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी निभाई? ये तो अच्छा है कि ये उस धर्म के बारे में है, जिसके लोगों ने कोई पब्लिक ऑर्डर का प्रॉब्लम क्रिएट नहीं किया. यहां तो भगवान राम, हनुमान और सीता मां को ऐसे दिखाया गया है, जैसे क्या ही हैं.'