
स्पीकर नार्वेकर के हाथ में 16 विधायकों की किस्मत! उद्धव या शिंदे... किसके हक में होगा फैसला?
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर की भूमिका अहम हो गई है. विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला लेने से पहले नार्वेकर यह भी तय करेंगे कि राजनीतिक दल के रूप में कौन सा गुट असली शिवसेना है.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को शिंदे बनाम ठाकरे के मामले में अहम फैसला सुनाया और माना कि यदि उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें राहत मिल सकती थी. उम्मीद के मुताबिक, संविधान पीठ ने अब महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर से 16 शिवसेना विधायकों के भाग्य का फैसला करने के लिए कहा है, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल हैं. यानि स्पीकर अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के पाले में गेंद आ गई है और अब वह तय करेंगे कि इन विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए भारतीय संविधान की 10 वीं अनुसूची के अनुसार अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए या नहीं.
शिवसेना नेता और महाराष्ट्र विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर सुनील प्रभु की अनुपस्थिति में इन सभी विधायकों को 23 जून, 2022 को अयोग्यता के नोटिस एनसीपी से ताल्लुक रखने वाले डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़िरवाल द्वारा जारी किए गए थे. तब ये विधायक उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करके गुवाहाटी चले गए थे. उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त पार्टी व्हिप ने इनके खिलाफ याचिका दायर की थी.
उद्धव ठाकरे के अनुरोध पर सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के तहत विशेष शक्तियों का उपयोग करने से इनकार कर दिया और कहा, 'तात्कालिक मामले में ऐसी कोई असाधारण परिस्थितियां नहीं हैं जिस पर अदालत द्वारा अयोग्यता याचिका पर निर्णय लिया जा सके. 'इन अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का अधिकार स्पीकर को इस शर्त के साथ सौंप दिया कि उन्हें (स्पीकर)'उचित अवधि के भीतर अयोग्यता का फैसला करना होगा.' इसका अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय अपेक्षा करता है कि स्पीकर को अयोग्यता के मामले पर जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए और मामले को लटकाना नहीं चाहिए. और ना ही विधानसभा के कार्यकाल पूरा होने तक का इंतजार करना चाहिए, जिसके बाद याचिका खत्म हो जाएगी.
निष्कर्ष में सुप्रीम कोर्ट ने व्हिप की नियुक्ति के संबंध में 10वीं अनुसूची की भी व्याख्या की है. विवाद इस बात पर था कि क्या अधिकांश विधायकों द्वारा जिसे पार्टी का व्हिप चुना गया है वो ठीक था या भी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप ठीक था. यहां उद्धव गुट ने शिंदे गुट का विरोध किया. राहुल नार्वेकर ने स्पीकर बनने के बाद शिंदे गुट के दावे को स्वीकार कर लिया था और शिंदे विधायक भरत गोगावाले को शिवसेना विधायक दल के व्हिप के रूप में नियुक्त किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि "स्पीकर ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि दो लोगों में से किसे 'राजनीतिक दल' द्वारा नियुक्त किया गया था और यहां साफ था कि व्हिप राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया गया है जिसे विधायी विंग द्वारा नहीं चुना जाता है." अदालत ने यह भी कहा है कि स्पीकर को राजनीतिक दल के नियमों और विनियमों के आधार पर स्वतंत्र जांच करनी चाहिए थी. अंत में अदालत ने स्पीकर से कहा है कि विधायक दल नहीं बल्कि राजनीतिक दल पार्टी के व्हिप और नेता की नियुक्ति करता है और स्पीकर को शिवसेना प्रमुख पार्टी संविधान के हिसाब से चुनना चाहिए था.
राहुल नार्वेकर अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार यह निर्धारित करेंगे कि राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप कौन है, वह राजनीतिक दल कौन था? क्या वह वह उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना थी या चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिंदे खेमा? ECI का निर्णय फरवरी 2023 में आया और स्पीकर को यह निर्धारित करना होगा कि जून 2022 में राजनीतिक दल कौन था? इसका फैसला भी स्पीकर द्वारा निर्धारित किया जाएगा और यह निर्णय उद्धव गुट द्वारा अयोग्यता से संबंधित याचिकाओं के संबंध में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा. यदि स्पीकर अपने हिसाब से यह निर्णय लेते हैं कि तब शिंदे गुट (जून 2022 में) वाली शिवसेना असली शिवसेना थी, तो उद्धव गुट को झटका लगेगा, लेकिन राहुल नार्वेकर जल्दबाजी में नहीं हैं.

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