![सोया हुआ सिस्टम, घिसटती लाश और अनगिनत सवाल... 10 साल लेकिन नहीं बदला सूरत-ए-हाल... पहले निर्भया और अब अंजलि!](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202301/anjali-dl-accident-car-scooty-main_4-sixteen_nine.jpg)
सोया हुआ सिस्टम, घिसटती लाश और अनगिनत सवाल... 10 साल लेकिन नहीं बदला सूरत-ए-हाल... पहले निर्भया और अब अंजलि!
AajTak
दस साल पहले एक बस थी और दस साल बाद एक कार. दस साल पहले वो बस दिल्ली की सड़कों पर कई किलोमीटर तक दौड़ती रही. तो दस साल बाद एक कार उसी दिल्ली की सड़कों पर कई किलोमीटर तक भागती रही. बस फर्क इतना था कि दस साल पहले उस बस में निर्भया की इज्जत लूटी जा रही थी और दस साल बाद अंजलि को एक कार घसीटती जा रही थी.
दस साल पहले दिसंबर की ही रात थी. और दस साल बाद वो दिसंबर की आखिरी रात थी. दस साल पहले वही दिल्ली थी. वही दिल्ली की सड़कें थी. दस साल बाद भी वही दिल्ली थी और वही सड़कें थी. दस पहले एक बस थी. दस साल बाद एक कार थी. दस साल पहले वो बस दिल्ली की सड़कों पर कई किलोमीटर तक दौड़ती रही. दस साल बाद एक कार उसी दिल्ली की सड़कों पर कई किलोमीटर तक भागती रही. बस फर्क इतना था कि दस साल पहले उस बस में निर्भया की इज्जत लूटी जा रही थी और दस साल बाद अंजलि को एक कार घसीटती जा रही थी. यानी निर्भया और अंजलि की कहानी में फर्क ज्यादा नहीं है.
क्या हुआ था उन 14 घंटों में? कंझावला कांड की पीड़िता की कहानी किसी को भी झकझोर सकती है. अंजलि की कहानी में दरिंदगी की इंतेहा है. निर्भया और अंजलि में बस इतना फर्क है कि निर्भया घुट कर मरी थी और अंजलि घिसट कर मरी. अब बहुत से लोग यही जानना चाहते हैं कि 31 दिसंबर 2022 की शाम 6 बजे से 1 जनवरी 2023 की सुबह 8 बजे तक क्या हुआ था?
डॉक्टर भी रह गए थे हैरान दस साल पहले की निर्भया के ज़ख्मों के बाद अब किसी के ज़ख्मों का हिसाब लिखने में दूसरी बार हाथ इतने कांप रहे हैं कि क्या कहें उसके जख्मों के बारे में. जिसे सुनने के लिए भी कलेजा चाहिए. बस यूं समझ लीजिए कि दूसरों को जिंदगी बख्शने वाले डाक्टरों तक ने जब अंजलि के जख्मों को देखा तो उनके मुंह से बस यही निकला... ये क्या ले आए हो? क्योंकि उस मुर्दा जिस्म में भेजा नहीं था. लंग्स डिसलोकेट हो चुके थे और बेक स्किन पूरी तरह खत्म हो चुकी थी. रो पड़ेंगे आंसू भी आंखें नम होती हैं, ये हम सबको मालूम है. आंखें रोती हैं, ये हम जानते हैं. पर दो घंटे तक इतवार की उस सर्द रात और पथरीली सड़क पर घिसटती, नुचती-खुसटती अंजलि के जख्मों की अगर पूरी हकीकत आपको बता दें तो यकीन मानिए आप या आपकी आंखें नहीं बल्कि खुद आंसू भी रो पड़ेंगे.
15 किलो का कंकाल बन चुकी थी अंजलि अंजलि के जिस्म में जितना लीटर भी खून था, सड़क पी चुकी थी. सर से लेकर छाती, छाती से लेकर पीठ, पीठ से लेकर पैरों तक सिर्फ पथरीले ज़ख्मों के ही निशान थे. जिस्म पर नहीं बल्कि 45 किलो से 15 किलो की हो चुकी अंजलि के कंकाल पर. अंतिम संस्कार के वक्त घर वाले तो यही नहीं समझ पा रहे थे कि वो किसका अंतिम संस्कार कर रहे हैं?
पत्थरदिल शहर की पथरीली सड़क यकीन मानिए खुद मौत भी हैरान होगी कि वो अपने साथ कैसी मौत ले जा रही है. ये मौत सिर्फ अंजलि की नहीं है बल्कि ये मौत पूरी इंसानियत की मौत है. सच कहें तो वो पथरीली सड़क भी शायद उतनी पथरीली नहीं होगी, जितना पत्थरदिल ये शहर है. पथरीली सड़क सिर्फ जिस्मों को खरोंच सकती है. उन्हें बेजान बना सकती है. उन जिस्मों से रूह को आजाद कर सकती है. मगर जब पथरीली सड़क की वही जकड़न जिस्म के रास्ते दिल में उतर जाए, तो फिर उस मौत को कोई ताउम्र नहीं भुला सकता. आज हम आपको पत्थरों में जकड़ी पथरीली हो चुकी एक जवान मौत की ऐसी दास्तान सुनाएंगे, जिसे सुनने के बाद आप भी दहल जाएंगे और आपका कलेजा भी बैठ सकता है.
अनजान थी दिल्ली पुलिस! तीन थानों की पुलिस. 12 किलोमीटर का दायरा. पुलिस की 9 पीसीआर वैन और कागजों पर ही सही दिल्लीवालों की हिफाजत के लिए गश्त करती पुलिस. इन सबके बीच एक कार में सवार पांच हैवान, 20 साल की एक लड़की को देश की राजधानी की एक पथरीली सड़क पर पूरे 12 किलोमीटर तक पहियों तले रौंदते रहे. रौंदते रहे और घूमते रहे. कब लडकी की मौत हुई, किस पल वो लाश बन गई और कैसे वो लाश एक मोटरकार के पहिए के नीचे फंस कर लगभग दो घंटे तक पथरीली सड़क पर भागती रही. तीन थानों की पुलिस ना देख सकी. 12 किलोमीटर के दायरे में 9 पीसीआर वैन को भी इसका पता नहीं चला.
![](/newspic/picid-1269750-20240610130033.jpg)
जम्मू के रियासी जिला अस्पताल में आतंकी हमले के बाल बच्चे भर्ती हैं. इन मासूम बच्चों को देखकर किसी का भी कलेजा फट सकता है. आतंकवादियों ने जो बर्बरता की है, उसके प्रमाण आप देख सकते हैं. श्रद्धालुओं ने जब आतंकवादी हमले की कहानी सुनाई, तो दिल दहल गया. आप उन आतंकवादियों की बर्बरता का अंदाजा नहीं लगा सकते.
![](/newspic/picid-1269750-20240610114525.jpg)
महाराष्ट्र के ठाणे में ठगों ने यूपी पुलिस का अधिकारी बनकर एक कारोबारी को करीब 20 लाख रुपये का चूना लगा दिया. ठगों ने कारोबारी को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसाने की धमकी दी थी और गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसों की मांग की थी. पैसे देने के बाद जब कारोबारी ने लखनऊ में फोन कर यूपी पुलिस थाने में जानकारी ली तो उसे पता चला कि उसके खिलाफ कोई केस ही नहीं है.
![](/newspic/picid-1269750-20240610110611.jpg)
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज हो गई है. पार्टी के चीफ व्हिप श्रीरंग बारणे का कहना है कि उनकी पार्टी ने सात सीटें जीती हैं और बावजूद इसके उन्हें कोई कैबिनेट मंत्रालय नहीं दिया गया. उनका कहना है कि एनडीए के अन्य घटक दलों को कम सीट मिलने पर भी कैबिनेट में जगह मिली है.