
सूती में उलझी रह गई पुलिस और शमशेरगंज में हो गया भयंकर बवाल, तोड़फोड़ से लेकर आगजनी तक... मुर्शिदाबाद हिंसा की पूरी कहानी
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वक्फ कानून के विरोध में शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जो हुआ, उसके निशान अभी भी हर तरफ बिखरे पड़े हैं. एक तरह से अराजकता का माहौल पैदा कर दिया गया और भीड़ ने एक के बाद एक वाहनों को जलाकर राख कर दिया. सड़कों के किनारे जो दुकानें थीं, उनमें नुकसान पहुंचाया गया और जलाने की कोशिश की गई. घंटों तक बवाल चलता रहा है.
वक्फ कानून पर एक बार फिर पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद शहर सुलग उठा है. शुक्रवार को हिंसा भड़की और प्रदर्शनकारियों ने जमकर बवाल किया. ट्रेन रोकी गई. पुलिस पर पथराव किया गया. अब हिंसा प्रभावित इलाके में BSF तैनात कर दी गई है. हिंसा के निशान जगह-जगह बिखरे पड़े हैं. हाइवे किनारे दोपहिया और चार पहिया जले पड़े हैं. सड़क किनारे दुकानों में भी आगजनी की कोशिश हुई है. यह पहला मौका नहीं है, तीन दिन पहले भी मुर्शिदाबाद में इसी तरह की अराजकता देखने को मिली थी. भीड़ का पुलिस से टकराव हो गया था. घंटों तक नेशनल हाइवे 34 जाम कर दिया गया था.
शुक्रवार को सबसे पहले मुर्शिदाबाद के सूती में हिंसा की शुरुआत हुई. उसके बाद जंगीपुर से पुलिसबल मौके पर पहुंचा और हालात संभालने में जुट गया. इसी दौरान सूती से 10 किमी दूर शमशेरगंज में भी बवाल की खबरें आने लगीं. हालांकि, पुलिसबल सूती में हाइवे से जाम हटवाने में जुटा रह गया. पुलिस शमशेरगंज तक नहीं पहुंच पाई और वहां हिंसा का ताडंव मचा रहा. ऐसे में सेंट्रल फोर्स BSF को उतरना पड़ा, तब तक बड़ा नुकसान हो चुका था.
सेंट्रल फोर्स पहुंची, तब थमी हिंसा
दोपहर से शुरू हुई हिंसा देर रात तक चलती रही. जब मालदा और बहरामपुर से फोर्स आई और इन इलाकों में पहुंची, तब हिंसा पर काबू पाया जा सका. भीड़ ने पहले नेशनल हाइवे 34 जाम किया. जब पुलिस ने उन्हें हटाना शुरू किया तो पत्थरबाजी होने लगी. पुलिस ने फिर आंसू गैस छोड़ी. लाठीचार्ज किया. दो दिन पहले भी मुर्शिदाबाद पुलिस पर हमला हुआ था. तब प्रदर्शनकारियों ने दो गाड़ियों में आग लगा दी थी. एनआरसी के दौर में भी मुर्शिदाबाद में जबरदस्त हिंसा देखने को मिली थी.
पहले से तो नहीं थी हिंसा की प्लानिंग?

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