
सीरिया में जुमे की नमाज के वक्त ब्लास्ट, 8 की मौत और 20 से ज्यादा घायल
AajTak
यह धमाका इमाम अली बिन अभी तालिब मस्जिद में हुआ. यह होम्स इलाके की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है. सुरक्षाबों को तुरंत इलाके को चारों ओर से घेर लिया.
सीरिया के होम्स की एक मस्जिद में विस्फोट की खबर है. यह ब्लास्ट होम्स के अलावी अल्पसंख्यक समुदाय की एक मस्जिद में शुक्रवार को हुआ, जिसमें अब तक आठ लोगों की मौत हो गई है जबकि कई घायल हो गए है.
होम्स में इमाम अली बिन अबी तालिब मस्जिद के भीतर विस्फोट हुआ, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया. स्थानीय अधिकारी इस्साम नामेह ने रॉयटर्स को बताया कि यह विस्फोट शुक्रवार की दोपहर की नमाज के दौरान हुआ, जो आमतौर पर मस्जिदों में सबसे अधिक भीड़ का समय होता है.
सीरिया की सरकारी एजेंसी अरब न्यूज ने ब्लास्ट की तस्वीरें जारी की हैं, जिसमें मस्जिद के भीतर खून से सने कार्पेट, दीवारों में छेद और टूटी खिड़कियां देखी जा सकती हैं.
एजेंसी ने सुरक्षाबलों का हवाला देकर कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि मस्जिद के भीतर विस्फोटक लगाया गया था. इलाके को चारों ओर से घेर लिया गया है. सीरिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी नजीब अल-नासान ने बताया कि इस घटना में 21 लोग घायल हुए हैं. ये आंकड़े शुरुआती है. मृतकों की संख्या भी बढ़ सकती है.
सीरियाई सरकारी मीडिया साना द्वारा जारी फुटेज में राहतकर्मियों और सुरक्षाबलों को मस्जिद में हर जगह मलबा नजर आ रहा है. अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी भी संगठन ने नहीं ली है.

तारिक की बांग्लादेश वापसी में खास प्रतीकात्मकता थी. जब वो ढाका एयरपोर्ट से बाहर आए तो उन्होंने जूते उतारकर थोड़ी देर के लिए जमीन पर खड़े हुए और हाथ में मिट्टी उठाई . ये असल में अपने देश के प्रति सम्मान दिखाने का तरीका था. उन्होंने रिसेप्शन में साधारण प्लास्टिक की कुर्सी को चुना और विशेष कुर्सी हटा दी, जो पिछले समय के भव्यता और 'सिंहासन मानसिकता' से दूरी दिखाता है.

गुजरात में 1474 के युद्ध में तीतर की रक्षा के लिए राजपूतों, ब्राह्मणों, ग्वालों और हरिजनों की एकजुट सेना ने चाबड़ जनजाति के शिकारीयों से लड़ाई लड़ी, जिसमें 140 से 200 लोग मारे गए. यह घटना भारतीय सभ्यता में शरण देने और अभयदान की परंपरा को दिखाती है. बांग्लादेश जो बार-बार हसीना को सौंपने की मांग कर रहा है, उसे भारत के इतिहास के बारे में थोड़ी जानकारी ले लेनी चाहिए.

खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान सत्रह साल बाद बांग्लादेश लौटे हैं. वे लंबे समय तक लंदन में निर्वासित रह चुके थे और अब राजनीति में अहम भूमिका निभाने की तैयारी में हैं. तारिक ने अपनी मातृभूमि लौटकर एक बड़े जनसमूह के बीच रोड शो किया जहां लाखों कार्यकर्ताओं ने उन्हें सम्मानित किया. हाल ही में देश में राजनीतिक हलचल तेज हुई है. शेख हसीना की पार्टी चुनाव से बाहर हुई है और बीएनपी मजबूत दावेदार बनकर उभरी है.

जब पहली विश्वयुद्ध में 1914 के क्रिस्मस के दौरान ब्रिटिश और जर्मन सैनिकों ने बिना किसी आदेश के संघर्ष विराम किया था, यह घटना युद्ध के बीच मानवता और शांति की मिसाल बनी. उस समय ट्रेंच युद्ध में सैनिक एक-दूसरे से दूर और भयभीत थे. लेकिन क्रिस्मस की रात को दोनों ओर से गाने और जश्न के बीच सैनिकों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया, मृत साथियों को सम्मान दिया और फुटबॉल भी खेला.









