
सीएम योगी से मिलने जा रहे थे यति नरसिंहानंद, पुलिस ने रोका तो जमकर बिफरे
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डासना देवी मंदिर के महंत और महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती बीती 27 तारीख को मेरठ के खजुरी गांव जाना चाहते थे. यहां एक साल पहले दीपक त्यागी की हत्या कर दी गई थी. उसी की बरसी में शामिल होने वो खजुरी गांव जाना चाहते थे. मगर, स्थानीय पुलिस और मेरठ पुलिस ने उन्हें डासना मंदिर में ही रोक दिया.
गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए निकले. इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोक लिया. इसके बाद महंत ने पुलिस को आड़े हाथ लिया. रोके जाने से नाराज महंत ने स्थानीय पुलिस को जमकर खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने सूबे के मुखिया पर भी कटाक्ष किए. कहा कि योगी आदित्यनाथ रावण से बड़े नहीं हैं. सत्ता किसी की नहीं रहती हैं. पुलिस के साथ नोकझोक का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
दरअसल, डासना देवी मंदिर के महंत और महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती बीती 27 तारीख को मेरठ के खजुरी गांव जाना चाहते थे. यहां एक साल पहले दीपक त्यागी की हत्या कर दी गई थी. उसी की बरसी में शामिल होने वो खजुरी गांव जाना चाहते थे. मगर, स्थानीय पुलिस और मेरठ पुलिस ने उन्हें डासना मंदिर में ही रोक दिया. इससे वो बरसी के कार्यक्रम में नहीं जा पाए.
इसको लेकर उन्होंने अपने खून से एक शिकायत पत्र सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को लिखा था. वो पैदल यात्रा करके गाजियाबाद से लखनऊ सीएम योगी आदित्यनाथ को खून से लिखा पत्र सौंपने जाना चाहते थे. मगर, सुरक्षा कारणों का हवाला देकर पुलिस ने उन्हें इस बार भी रोक दिया.
इसके बाद महंत बिफर गए. उन्होंने पुलिस को जमकर खरी-खोटी सुनाई. गुस्से में सीएम योगी और पीएम मोदी पर भी टिप्पणी की. कहा कि उन्होंने मुलायम, मायावती और अखिलेश का कार्यकाल देखा है. कभी पुलिस से नहीं रुके. मगर, आज जब हमारे ही योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं तो उन्हें पुलिस रोक रही है.
आरोप लगाया कि पुलिस मनमानी कर उन्हें कुचल रही है. योगी पुलिस की बात सुन रहे हैं, उनकी नहीं. कहा कि योगी रावण से बड़े नहीं हैं. मैं तो आज या कल मर ही जाऊंगा. सत्ताएं किसी की सदा नहीं रही हैं. पुलिस जानबूझकर सुरक्षा कम कर रही है. कई घंटे की जद्दोजहद के बाद भी पुलिस ने महंत को पैदल यात्रा कर लखनऊ मुख्यमंत्री से मिलने जाने की इजाजत नहीं दी.
हालांकि, महंत के शिष्य को खून से लिखा पत्र लेकर लखनऊ जाने की परमिशन दे दी. इसके बाद उनके शिष्य पैदल यात्रा करते हुए पत्र लेकर निकल गए. 10 दिन की यात्रा कर 8 तारीख को लखनऊ पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है.

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