'सिर से दुपट्टा हट जाए तो कैरेक्टरलेस...', कैसे कश्मीर की गलियों से निकलकर एक्ट्रेस बनी फरहाना भट
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फरहाना ने बताया कि वो ऐसे समाज से आती हैं, जहां अगर लड़की एक पेंसिल भी लेने निकल रही है, तो उसे कैरेक्टरलेस कहा जाएगा. फरहाना ने शेयर किया कैसे वो एक छोटी सोच और छोटी जगह वाली जगह से निकलकर इम्तियाज अली की मूवी में काम कर पाईं.
जिंदगी में सबको सबकुछ नहीं मिलता. कोई चांदी की चम्मच के साथ पैदा होता है, तो किसी को जी जान से मेहनत करनी पड़ती. वहीं किसी को समाज और अपनो का विरोध कर अपना मुकाम हासिल करना पड़ता है. ऐसा ही कुछ कहानी है एक्ट्रेस फरहाना भट की. उन्हें अपने मुस्लिम कन्सरवेटिव फैमिली से बाहर निकल कर कुछ करने और अपना नाम बनाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी. एक्ट्रेस को लोगो ने कई ताने दिए, लेकिन फरहाना ने एक ना सुनी. और निकल पड़ीं अपनी मंजिल की राह पर.
कश्मीर से निकलकर बनाया शोबिज वर्ल्ड में नाम फरहाना ने बताया कि वो ऐसे समाज से आती हैं, जहां अगर लड़की एक पेंसिल भी लेने निकल रही है, तो उसे कैरेक्टरलेस कहा जाएगा. फरहाना ने शेयर किया कैसे वो एक छोटी सोच और छोटी जगह वाली जगह से निकलकर इम्तियाज अली की मूवी में काम कर पाईं. फरहाना एक ऐसे परिवार से हैं, जहां सिर से दुपट्टा उतर जाने पर भी बवाल मच जाता था, उस माहौल में जीन्स पहनने वाली फरहाना पहली महिला हैं. इस बात से घर में हंगामा मच गया था. लेकिन मेरी मां ने मुझे सपोर्ट किया.
रिश्तेदारों ने दिए ताने
फरहाना ने बताया कि कैसे वो छुप-छुप कर ऑडिशन देने जाती थीं. कई बार रिजेक्ट होने के बाद, फरहाना ने एक बॉलीवुड मूवी के लिए ऑडिशन दिया. इसके लिए फरहाना ने बहुत प्रिपेयर किया. उन्होंने यूट्यूब वीडियोज देखकर तैयारी की, डायलॉग डिलीवरी की, एक्सप्रेशन की, हर एक तकनीक की. लेकिन इस बीच भी फरहाना के रिश्तेदारों ने अडंगा डाला. उन्होंने फरहाना की मां को खूब भला बुरा सुनाया. जिससे वो रो पड़ीं. इस वक्त फरहाना ने सोचा, ठीक है मैं नहीं जाती. लेकिन एक्ट्रेस की मां ने उन्हें जाने को कहा. फरहाना की मां ने कहा- मैं इतना लड़ी इसलिए नहीं हूं कि तुम पीछे हट जाओ. तुम्हे आगे बढ़ना है.
डिप्रेशन में आई फरहाना
फरहाना ने कहा- इन सब बातों से मैं लगभग दो महीने के लिए डिप्रेशन में आ गई थी. मेरे घर में झगड़े हो रहे थे. रिश्तेदार मारने-पीटने पर अमादा थे. अगर मैं वो ऑडिशन देने जाती तो फिर कभी वो लोग कोई हेल्प नहीं करते. उस वक्त ना मेरे पास, ना मां के पास कोई जॉब थी. मेरे लिए ये सब सिर के ऊपर जा रहा था. मैं बरदाश्त नहीं कर पा रही थी. साथ ही ऑडिशन के लिए भी ध्यान देना था. घर का खर्च भी मेरे ऊपर था. लेकिन एक बात दिमाग में चल रही थी कि इतना सब कुछ जिस चीज के लिए हुआ है, वहीं मैं कैसे छोड़ सकती हूं. एक पड़ोसी ने मुझे अपने घर पर जगह दी ऑडिशन टेप रिकॉर्ड करने के लिए.
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