
सिंधु जल समझौता सस्पेंड, लेकिन भारत कब तक पाकिस्तान को बूंद-बूंद के लिए तरसा देगा?
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया. पाकिस्तान के 80 फीसदी खेती सिंधु के पानी पर निर्भर है. भारत मौजूदा बुनियादी ढांचे के साथ पाकिस्तान में बहने वाले पानी का एक हिस्सा ही स्टोर कर सकता है. अगर भारत चाहे तो पाकिस्तान को जाने वाली सप्लाई को पूरी तरह से बंद करने में कितना समय लगेगा?
'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते', 2016 में पाकिस्तान प्रयोजित उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात कही थी, जिसमें 18 भारतीय सैनिक मारे गए थे. वह उस वक्त सिंधु जल समझौते का जिक्र कर रहे थे. इसके बाद भी पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाए और समझौत पर संकट के बावजूद, भारत ने अब तक इसे रोका नहीं था. लेकिन बीती 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद भारत ने पहली बार सिंधु जल संधि समझौता स्थगित कर दिया है.
PAK के कंट्रोल वाली नदियों का क्या होगा?
भारत ने इस समझौते को तब तक रोकने का फैसला लिया है, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करता. नई दिल्ली की ओर से यह जवाबी कदम, जिसे भारत-पाकिस्तान संबंधों में निर्णायक पल के रूप में देखा जा रहा है, कुछ अहम सवाल भी पैदा करता है. भारत ने अब सिंधु जल संधि पर रोक लगा दी है, जिसके तहत पाकिस्तान को सिंधु सिस्टम की पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब और झेलम) पर कंट्रोल दिया गया है, तो इन नदियों के पानी का वास्तव में क्या होगा? क्या भारत वास्तविक रूप से इसे रोक सकता है और अपने लिए इस पानी का इस्तेमाल कर सकता है? कई बांधों के निर्माण के साथ, भारत कब पाकिस्तान को मिलने वाला पानी पूरी तरह से बंद कर सकेगा?
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एक्सपर्ट का कहना है कि, हालांकि भारत के पास अब पश्चिमी नदियों पर स्टोरेज और पानी को डायवर्ट करने संबंधी बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए कानूनी और कूटनीतिक गुंजाइश है. लेकिन तत्काल में पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को डायवर्ट करने की क्षमता मौजूदा बुनियादी ढांचे संबंधी बाधाओं और बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को विकसित करने की वजह से सीमित हैं.
पाकिस्तान के लिए संधि के क्या मायने?

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