
सरायकेला और ईचागढ़... झारखंड चुनाव में हो रही सियासी दबदबे वाले राजघरानों की चर्चा
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झारखंड विधानसभा चुनाव में सरायकेला विधानसभा सीट हॉट सीट बन गई है. इस सीट के साथ ही सरायकेला और ईचागढ़ के राजघरानों की भी झारखंड चुनाव में खूूब चर्चा हो रही है.
झारखंड चुनाव में सरायकेला हॉट सीट है. सरायकेला विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन चुनाव मैदान में हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के लिए कोल्हान रीजन की कमान संभालते आए चंपाई इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. सरायकेला की बात हो रही है तो चर्चा दो राजघरानों की सियासी धमकक को लेकर भी है. ये दो राजघराने हैं सरायकेला और ईचागढ़. ये दोनों राजपरिवार भी इलाके की सियासत में मजबूत दखल रखते हैं.
सरायकेला राजघराने की बात करें तो देश की आजादी के बाद साल 1957 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव से ही इस सीट पर राजपरिवार का दबदबा रहा है. 1957 में सरायकेला के राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव सरायकेला सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे. 1962 के चुनाव में सरायकेला राजघराने के टिकैत नृपेंद्र नारायण सिंहदेव विधानसभा पहुंचे तो वहीं 1972 में राजा सत्यभानु सिंहदेव चुनाव मैदान में उतरे थे. 1972 के विधानसभा चुनाव के बाद यह सीट आरक्षित हो गई थी. सरायकेला सीट आरक्षित हो जाने बाद राजपरिवार ने विधायी राजनीति से दूरी बना ली. हालांकि, बाद में राजपरिवार ने निकाय चुनाव में दिलचस्पी दिखाई. सरायकेला राजपरिवार से रानी अरुणिमा सिंहदेव दो बार सरायकेला नगर पंचायत की अध्यक्ष रही हैं.
सरायकेला के राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव के पुत्र भी सियासत में सक्रिय रहे हैं. टिकैत नृपेंद्र नारायण सिंहदेव जहां सरायकेला सीट से विधायक रहे, वहीं दूसरे पुत्र आरएन सिंहदेव तो पड़ोसी राज्य ओडिशा के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. दरअसल, आरएन सिंहदेव को ओडिशा के पटनागढ़ राजघराने के महाराजा पृथ्वीराज सिंहदेव ने गोद ले लिया था. आरएन सिंहदेव ने चुनावी राजनीति में 1957 में ही एंट्री ली थी. 1957 से 1974 तक लगातार विधायक रहे आरएन सिंहदेव ओडिशा विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे और मुख्यमंत्री भी बने.
आरएन सिंहदेव की बहन और ढेंकानाल की महारानी रत्नप्रभा देवी भी दिग्गज नेता बीजू पटनायक को हराकर विधानसभा पहुंची थीं. वर्तमान की बात करें तो इस परिवार से केवी सिंहदेव ओडिशा की सियासत में सक्रिय हैं. फिलहाल, केवी सिंहदेव ओडिशा सरकार में डिप्टी सीएम हैं.
ईचागढ़ राजघराने का भी रहा है दबदबा
राजपरिवार और राजनीति का नाता सरायकेला खरसावां जिले में बस सरायकेला राजघराने तक ही सीमित नहीं है. जिले का एक और राजपरिवार सियासत में धमक रखता है. यह ईचागढ़ राजपरिवार है. सरायकेला राजघराने के तीन राजा एक-एक बार चुनावी बाजी जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे तो वहीं ईचागढ़ के राजा और युवराज भी विधायक रह चुके हैं.

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