
'सम्मान मांगा था, अपमान मिला...', ये कहते हुए राज ठाकरे ने 20 साल पहले छोड़ दी थी शिवसेना, जानें- उद्धव से क्यों हुए मतभेद
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राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होने का फैसला अचानक नहीं लिया, बल्कि इससे पीछे की वजह दोनों भाइयों की बीच लगातार बढ़ते मतभेद और अधिकारों की लड़ाई रही, जो 1995 से शुरू हुई थी. वैसे तो शिवसेना में बाल ठाकरे के सबसे करीबी राज ठाकरे हुआ करते थे और उन्हें ही राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था.
महाराष्ट्र की सियासत में 20 साल बाद फिर से राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक होने के कयास लगाए जा रहे हैं. पहले एमएनएस चीफ राज ठाकरे ने मतभेद भुलाने की बात कही और फिर इसके जवाब में शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी महाराष्ट्र के हितों का हवाला देते हुए मामूली झगड़ों को पीछे छोड़ने के संकेत दिए हैं. उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे ने साल 2005 में शिवसेना से अलग होने का फैसला किया था और फिर 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएमएस) का गठन किया.
'सम्मान मांगा था, अपमान मिला'
तारीख-18 दिसंबर 2005, जगह- शिवाजी पार्क जिमखाना. राज ठाकरे ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी जिसमें उन्होंने शिवसेना से अलग होने का ऐलान किया था. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज ठाकरे ने कहा कि उन्होंने सम्मान मांगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ अपमान और बेइज्जती मिली. असल में राज ठाकरे को ही शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था क्योंकि वह पार्टी में उद्धव से ज्यादा सक्रिय थे और उनकी छवि भी अपने चाचा बालासाहेब की तरह एक तेजतर्रार नेता की थी.
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राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होने का फैसला अचानक नहीं लिया, बल्कि इससे पीछे की वजह दोनों भाइयों की बीच लगातार बढ़ते मतभेद और अधिकारों की लड़ाई रही, जो 1995 से शुरू हुई थी. वैसे तो शिवसेना में बाल ठाकरे के सबसे करीबी राज ठाकरे हुआ करते थे. बाल ठाकरे के ही तेवर, वैसे ही खुलकर बोलने की हिम्मत और वह हर खूबी, जो राज ठाकरे को बाल ठाकरे का उत्तराधिकारी बना सकती थी. तब तक उद्धव ठाकरे राजनीति में उतने एक्टिव नहीं थे.
पार्टी में उद्धव का कद बढ़ने लगा

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