समान नागरिक कानून, लंबित केसों की लंबी लिस्ट और राजस्थान चुनाव... कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से सीधी बात
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आजतक के खास कार्यक्रम सीधी बात में इस बार हमारे खास मेहमान रहे अर्जुन राम मेघवाल. वे इस समय कानून मंत्री हैं. आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उन्हें यह अहम मंत्रालय सौंपा गया है. आजतक के खास कार्यक्रम में उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात बेबाकी से रखी.
आजतक के खास कार्यक्रम सीधी बात में इस बार शिरकत की भारत सरकार में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने. बता दें कि हाल ही में देश में कानून मंत्रालय में खास बदलाव किया गया है. अर्जुन राम मेघवाल से पहले इस मंत्रालय को किरेन रिजिजू संभाल रहे थे. लेकिन केंद्र सरकार ने आंतरिक फेरबदल करते हुए राजस्थान के इस कद्दावर नेता को जिम्मेदारी सौंपी. इस कार्यक्रम में उन्होंने बदलाव से लेकर खुद पर बढ़ी जिम्मेदारी को लेकर कई मुद्दों पर खुल कर अपनी बात रखी. कार्यक्रम के होस्ट सुधीर चौधरी ने उनसे सवाल पूछा गया कि चुनाव से कुछ समय पहले ही उन्हें ये मंत्रालय क्यों दिया गया? क्या वे एक्सिडेंटल लॉ मिनिस्टर हैं?
इस सवाल के जवाब में अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि मैं इस शब्द (एक्सिडेंटल मिनिस्टर) से तो सहमत नहीं हूं. इसके आगे उन्होंने कहा कि यह तो प्रधानमंत्री मोदी का फैसला है. मंत्रालय में फेरबदल करना तो प्रधानमंत्री का अधिकार है. मेरे लिए इन दिनों बढ़ी जिम्मेदारी यह है कि मैं अब इस विभाग को सही ढंग से चलाऊं. हमें केसों की संख्या में कमी लानी है. इसके बाद सुधीर चौधरी ने सवाल पूछा कि इसी फॉर्मेट पर तो किरेन रिजिजू काम कर रहे थे, फिर उन्हें क्यों हटाया गया? इसके जवाब में कानून मंत्री ने कहा कि न्यायपालिका के साथ हमारे संबंध सौहार्दपूर्ण हैं.
कैसे काम करेंगे अर्जुन राम मेघवाल?
इस सवाल के जवाब में कानून मंत्री ने कहा कि हम अगले 10 महीनों में टेक्नोलोजी के साथ काम करेंगे. हम ई-कोर्ट के जरिए मामलों को सुलझाने की कोशिश करेंगे. इसके साथ ही कानून मंत्री ने ट्रैफिक के मामलों का एक उदाहरण भी रखा. पहले ट्रैफिक से जुड़े मामले कोर्ट में जाते थे, लेकिन अब वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से हम तुरंत ही फैसला कर देते हैं. ऐसे ही चेक बाउंस करने के मामलों पर एक साथ फैसला कर सकते हैं. इसके अलावा मोटर व्हीकल एक्ट के कई मामलों में भी एक साथ फैसला किया जा सकता है.
क्या कैबिनेट में फेरबदल सामान्य था?
आजतक के कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी ने सवाल पूछा कि उनको कानून मंत्री बनाए जाने का फैसला अचानक हुआ. यह कोई कैबिनेट रिशफल तो नहीं था. तो सरकार ने उन्हीं पर भरोसा क्यों जताया? इसके जवाब में अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह तो प्रधानमंत्री जी का फैसला था. फैसला लेना उनका काम है और उसपर खरा उतरना हमारा काम है. इसके बाद सवाल पूछा गया कि सरकार और न्यायपालिका के संबंध खराब हो रहे थे, इसलिए यह फेरबदल हुआ और अर्जुन राम मेघवाल को मामला ठंडा करने के लिए लाया गया है? इसके जवाब में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पुराना किस्सा सुनाते हुए कहा कि न्यायपालिका स्वतंत्र है. हमारी कोशिश रहेगी कि वो स्वतंत्र ही रहे. लेकिन साथ ही हमारी कोशिश रहेगी कि हम न्यायपालिका के साथ सामंजस्य बना रहे.
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