सपा का समर्थन जरूरी या मजबूरी? आजम खान के बहाने समझें यूपी की मुस्लिम पॉलिटिक्स
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आजम खान को सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद यूपी की सियासत में हलचल है. अखिलेश यादव, शिवपाल यादव समेत सपा के कई दिग्गज आजम के समर्थन में खुलकर उतर आए हैं. सपा का समर्थन जरूरी है या मजबूरी?
रामपुर के कद्दावर नेता आजम खान को एमपी-एमएलए कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है. आजम खान के साथ ही उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा सुनाई गई है. रामपुर की कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के केस में तीनों को दोषी ठहराते हुए ये सजा सुनाई है.
एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले के बाद आजम खान फिर से जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं. आजम खान ने सजा सुनाए जाने के बाद कहा कि फैसले और न्याय में अंतर होता है. ये फैसला हुआ है, न्याय नहीं. उधर, समाजवादी पार्टी (सपा) भी आजम खान के समर्थन में खुलकर आ गई है. पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजम की सजा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें (आजम खान को) मुसलमान होने की सजा मिल रही है.
अखिलेश ने एक्स (पहले ट्विटर) पर भी पोस्ट कर कहा- आजम खान और उनके परिवार को निशाना बनाकर समाज के एक हिस्से को डराने का जो खेल खेला जा रहा है, उसे जनता देख और समझ रही है. अखिलेश ने इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए कहा कि इंसाफ के दरवाजे खुले हुए हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा कि जुल्म करने वाले याद रखें, नाइंसाफी के खिलाफ एक अदालत अवाम की भी होती है.
शिवपाल यादव ने भी एक्स पर आजम खान हैशटैग के साथ एक शायरी पोस्ट की- "आफताब छुप गया तो क्या गम, सुबह-ए-नव जरूर आएगी. शर्त बस यही कि वक्त का थोड़ा इंतजार कीजिए." अखिलेश यादव, शिवपाल यादव के साथ ही समाजवादी पार्टी के तमाम नेता खुलकर आजम खान के समर्थन में आ गए हैं. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे को सजा सुनाए जाने के बाद यूपी की सियासत में इतना बवाल क्यों मच गया है, सपा के लिए उनका समर्थन जरूरी है या मजबूरी है?
आजम केस में अखिलेश इतने संजीदा क्यों?
दरअसल, आजम खान सपा की स्थापना के समय से ही पार्टी से जुड़े रहे हैं. नौ बार के पूर्व विधायक आजम यूपी में सपा की सरकारों में नगर विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री रहे हैं. उनकी गिनती सपा सरकार के सबसे ताकतवर मंत्रियों में होती थी. सत्ता परिवर्तन के बाद आजम के सितारे गर्दिश में आ गए और एक के बाद एक, उनके खिलाफ 100 से अधिक केस दर्ज हो गए. आजम खान को 27 महीने जेल में गुजारने के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. आजम के खिलाफ एक्शन के विरोध में सपा कोई आंदोलन खड़ा करने में विफल रही थी. अखिलेश यादव की उदासीनता को लेकर भी सवाल उठे.
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