
सपा-कांग्रेस-शिवसेना और NCP... राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष ने क्या-क्या गंवाया?
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राष्ट्रपति चुनाव में 99 फीसदी वोटिंग हुई है और अब नतीजे 21 जुलाई को आएंगे. राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के खिलाफ विपक्ष ने काफी मशक्कत के बाद यशवंत सिन्हा को कैंडिडेट बनाया था, लेकिन क्रॉस वोटिंग नहीं रोक सकी. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस, सपा, शिवसेना और एनसीपी जैसे दल को फायदा कम और सियासी नुकसान ज्यादा उठाना पड़ा है.
देश के 15वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव में सांसदों-विधायकों ने सोमवार को मतदान किया जबकि नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. राष्ट्रपति चुनाव में 99 फीसदी सदस्यों ने वोट डाले. एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्षी की ओर से उम्मीदवार यशवंत सिन्हा आमने-सामने हैं. हालांकि, कई राज्यों में जिस तरह से पार्टी लाइन से हटकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने जमकर क्रॉस वोटिंग की है, उससे मुर्मू का अगला राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा. वहीं, माना जा रहा है कि विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा दौड़ में कहीं नहीं टिक रहे हैं.
ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में हार जीत की तस्वीर साफ हो चुकी है, लेकिन इस चुनाव में बने और बिगड़े राजनीतिक समीकरणों ने विपक्ष के दलों के लिए गहरा झटका दिया है. कांग्रेस में जहां कई राज्यों में बगावत दिखी तो यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर लगाने वाले शरद पवार की पार्टी एनसीपी विधायक ने क्रॉस वोटिंग की. ऐसे ही उत्तर प्रदेश में सपा के लिए ये चुनाव काफी मायने वाला था, लेकिन अखिलेश यादव न तो अपने विधायकों को संभाल सके और न ही अपने सहयोगी दल को साधकर रख सके. विपक्ष भी पूरी तरह से बिखरा हुआ नजर आया. ऐसे में जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में सपा, कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी को आखिर क्या-क्या गवांना पड़ गया.
सपा के विधायक बागी तो सहयोगी दूर राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा को विपक्ष के उम्मीदवार बनाने में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की भी भूमिका थी, जिसके चलते उनके लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण माना जा रहा था. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव के लिए सपा के अपने विधायकों को यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट डालने के लिए व्हिप जारी कर रखा था. इसके बाद अखिलेश यादव अपने विधायकों को क्रॉस वोटिंग से नहीं बचा सके. बरेली के भोजीपुरा से सपा विधायक शहजील इस्लाम ने राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की बात कही जा रही है तो शिवपाल यादव ने भतीजे अखिलेश के कहने के बावजूद यशवंत सिन्हा को वोट नहीं दिया.
राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश यादव ना तो अपने विधायकों को क्रास वोटिंग से रोक सके और ना ही अपने गठबंधन के सहयोगी को साधकर रख पाए. 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने जिस सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के सहारे पूर्वांचल के कई जिलों में बीजेपी को नको चने चबवा दिया था, अब वो उनसे दूर हो गए हैं. राजभर ने राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया. राजभर और अखिलेश की दोस्ती टूट गई है. इस तरह राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा के समर्थन में खड़े होने से सपा को फायदा से ज्यादा सियासी नुकसान उठाना पड़ा, जिसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पड़ेगा.
कांग्रेस को क्या गंवाना पड़ा राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस ने खुलकर सामने आने के बजाय गैर-एनडीए विपक्षी दलों के पीछे खड़ी नजर आई. सोनिया गांधी और राहुल गांधी खुद सक्रिय होने के बजाय पार्टी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश के जिम्मा दे रखा था. ऐसे में कांग्रेस ने उम्मीदवार के चुनने में शरद पवार, ममता बनर्जी और सीताराम येचुरी के फैसले संग खड़ी दिखी. राष्ट्रपति के लिए यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया गया तो कांग्रेस समर्थन में खड़ी नजर आई. जनता दल और बीजेपी जैसे कांग्रेस विरोधी दलों में लंबे समय तक रहे यशवंत सिन्हा का इंदिरा, राजीव, सोनिया और राहुल गांधी का विरोध करने का एक लंबा और ठोस ट्रैक रिकॉर्ड है. इसके बावजूद कांग्रेस ने समर्थन किया, लेकिन पार्टी न तो अपने विधायकों को क्रॉस वोटिंग करने से रोक पाई और ना ही सहयोगी दलों को लेकर साथ चल सकी.
कांग्रेस विधायक क्रॉस वोटिंग ओडिशा से लेकर असम तक के कांग्रेसी विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की खबरे हैं. ओडिशा कांग्रेस विधायक मोहम्मद मोकीम ने दावा किया है कि उन्होंने एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है. उन्होंने कहा कि मैं एक कांग्रेस विधायक हूं, लेकिन मैंने एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है. वहीं, असम से AIUDF के विधायक करिमुद्दीन बारभुइया ने दावा किया है कि 20 से अधिक कांग्रेस विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की है. असम में अगर वाकई इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेसी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है तो निश्चित तौर पर पार्टी के लिए बड़ा झटका है.

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