
सत्यपाल मलिक सक्रिय राजनीति से दूर रहकर कैसे जयंत और अखिलेश की मदद कर पाएंगे?
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मेघालय के राज्यपाल पद से रिटायरमेंट होते ही सत्यपाल मलिक के तेवर बीजेपी के लिए और भी ज्यादा आक्रामक हो गए हैं. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी और एनडीए सरकार के खिलाफ अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मदद करने का ऐलान किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी को यूपी में खासकर पश्चिमी यूपी में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
मेघालय के राज्यपाल पद से रिटायरमेंट होते ही सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मेघालय से लौटते ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में सक्रिय हो गए हैं. आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सियासी तौर पर मदद करने की बात कर रहे हैं, लेकिन न किसी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं और न ही 2024 में चुनाव लड़ना चाहते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि सत्यपाल मलिक किस तरह से अखिलेश-जयंत को मदद करेंगे?
महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर बीजेपी को घेर रहे
सत्यपाल मलिक इन दिनों पश्चिमी यूपी में एक के बाद एक जिले का दौर कर रहे हैं. उन्होंने बीजेपी के खिलाफ तेवर सख्त कर रखे हैं. इतना ही नहीं वो अपने बागपत के गांव में भी लोगों से मिलने-जुल रहे हैं. बुलंदशहर से लेकर हापुड़, अलीगढ़ और शामली तक का दौरा कर रहे हैं. इस दौरान सत्यपाल मलिक किसानों से जुड़े मुद्दों से लेकर महंगाई और बेरोजगारी तक पर बीजेपी सरकार को घेर रहे हैं.
पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक कहते हैं कि आरएलडी सुप्रीमो जयंत चौधरी और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की मदद करूंगा, क्योंकि मैं इन्हीं पार्टियों से निकला हुआ हूं. वह कहते हैं कि बीजेपी सरकार में बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी से देश में हाहाकार मचा है. यह सरकार किसान विरोधी है. किसानों के हक की लड़ाई को जारी रखेंगे.
सत्यपाल मलिक कहते हैं कि किसानों का गन्ने का भुगतान रुका हुआ है. बकाया पर ब्याज भी नहीं दिया जा रहा. माफी मांगकर किसानों को धरने से उठाया गया, लेकिन अब एमएसपी कानून नहीं बना. सेना की अग्निवीर भर्ती पर कहते हैं कि सिर्फ चार साल की नौकरी है, जिसमें पेंशन भी नहीं है. मुजफ्फरनगर में सेना भर्ती में पहुंचे युवकों को सड़कों और झाड़ियों में सोना पड़ा, खाना तक नहीं मिला.
नहीं चाहता 2024 में रिपीट कर बीजेपी

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