'सचिन पायलट जीत रहे हैं...', टोंक से BJP MP ने नतीजों से पहले ही कर दिया ऐलान
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टोंक के भाजपा सांसद सुखबीर जौनपुरिया ने मुस्लिम वोट बैंक का हवाला देते हुए कहा कि समीकरण कांग्रेस के पक्ष में होने के चलते सचिन पायलट यहां से चुनाव जीत रहे हैं.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित होंगे. लेकिन उससे पहले ही टोंक के भाजपा सांसद सुखबीर जौनपुरिया ने सचिन पायलट की जीत का दावा कर दिया है. उन्होंने कहा, 'टोंक में अल्पसंख्यक बहुत हैं. माइनॉरिटी के पास मजबूरी है कि किसी और को तो दे नहीं सकते वोट, तो देंगे पायलट को ही. टोंक में मुस्लिम वोटों का समीकरण कांग्रेस के पक्ष में होने से पायलट की जीत तय है. मुसलमानों के वोट सचिन पायलट को मुफ्त में मिले हैं इसलिए वह जीत सकते हैं.'
टोंक सचिन पायलट की पारंपरिक सीट रही है, जहां गुर्जर और मुस्लिम कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वोट बैंक हैं. गुर्जरों के बीच सचिन पायलट की व्यक्तिगत साख भी बहुत अच्छी है. ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट थोड़ी मुश्किल हो जाती है, क्योंकि यहां के जातिगत और धार्मिक समीकरण उसके पक्ष में नहीं हैं. इस बार भाजपा ने टोंक से सचिन पायलट के मुकाबले स्थानीय नेता अजीत सिंह मेहता को उतारा था. उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरा 'स्थानीय बनाम बाहरी' के मुद्दे पर पायलट को घेरने की कोशिश की.
टोंक से भाजपा ने अजीत सिंह मेहता को दिया था टिकट
अजीत सिंह मेहता का कहना था कि वह टोंक के रहने वाले हैं और यहां के लोगों की समस्याओं को जानते हैं, जबकि सचिन पायलट एक बाहरी व्यक्ति हैं. मेहता का कहना था कि पायलट ने पिछली बार सीएम फेस होने के कारण टोंक से बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उनके पास इसका लाभ नहीं है. हालांकि, भाजपा इस सीट के सामाजिक समीकरण को बखूबी जानती है. इसलिए उसने चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय नेता के रूप में मेहता की साख को उजागर करते हुए हिंदू वोटों को एकजुट करने की रणनीति पर काम किया.
सचिन पायलट ने 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में टोंक से भाजपा प्रत्याशी यूनुस खान को 54 हजार 179 मतों से हराया था. टोंक में 2.46 लाख से अधिक मतदाता हैं. इनमें मुस्लिम, गुर्जर और अनुसूचित जाति के मतदाता अच्छी-खासी संख्या में हैं. टोंक सीट से बसपा उम्मीदवार अशोक बैरवा ने भी सचिन पायलट को समर्थन देने का एलान किया था. बैरवा ने कहा था कि वह पायलट के लिए प्रचार करेंगे. उन्होंने कहा था कि वह अपनी उम्मीदवारी वापस लेना चाहते थे, लेकिन नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन समय की कमी के कारण वह ऐसा नहीं कर सके.
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