संजय सिंह की नई एंट्री तो जोरदार है, लेकिन आगे की परीक्षा और कड़ी है
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शर्तों के साथ जेल से छूटते ही संजय सिंह ने जो तेवर दिखाया है, वो कार्यकर्ताओं में जोश भरने वाला है, और पैर छूकर ये भी जता दिया है कि सुनीता केजरीवाल ही आम आदमी पार्टी में नंबर 2 हैं - सवाल है कि आगे की लड़ाई भी ऐसी ही होगी, या अंगड़ाई भर ही देखने को मिला है?
छह महीने से ज्यादा हो चुके थे. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत तो एक दिन पहले ही मंजूर कर ली थी, रिहाई के लिए संजय सिंह को एक रात और इंतजार करना पड़ा. लेकिन वो रात पुरानी रातों से काफी अलग थी. अगली शाम बहुत सुहानी होगी, पहले से ही तय हो चुका था.
लिवर की बीमारी से परेशान संजय सिंह अस्पताल में थे. अस्पताल से व्हील चेयर पर निकले तिहाड़ के लिए. लेकिन जेल से छूटते ही एक झटके में गाड़ी की छत पर चढ़ गये - और दहाड़ने लगे.
नारेबाजी के साथ. अपने साथ साथ कार्यकर्ताओं से भी नारे लगवा रहे थे, 'जेल के ताले टूटेंगे... अरविंद केजरीवाल छूटेंगे!'
तिहाड़ जेल के बाहर बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता पहले ही पहुंच चुके थे. जेल से कोर्ट में पेशी के लिए आते जाते संजय सिंह की झलक तो कई बार दिखाई दी थी, लेकिन ये नजारा बिलकुल अलग था. आमने सामने का नजारा अलग ही होता है. संजय सिंह और आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता एक दूसरे से मुखातिब थे.
दोनों ही तरफ मुलाकात की बेसब्री रही होगी, आसानी से समझा जा सकता है. और अपेक्षा भी निश्चित तौर पर रही होगी. कार्यकर्ताओं को देखकर संजय सिंह का भी जोश हाई हुआ होगा. और कार्यकर्ताओं के जोश में इजाफा करने की प्रेरणा भी तत्काल मिली होगी - और अपने भाषण, नारेबाजी और बातों से संजय सिंह ने उनमें से किसी को भी निराश नहीं किया, जो उनसे कुछ ऐसी ही अपेक्षा किये होंगे. सुनीता केजरीवाल ही नहीं, अरविंद केजरीवाल भी. शायद आतिशी, सौरभ भारद्वाज जैसे बाकी नेता भी.
जेल के फाटक से थोड़ी ही दूर पर संजय सिंह ने बड़े ही जोशीले अंदाज में पार्टी कार्यकर्ताओं की हौसलाअफजाई की कोशिश की, हमारी पार्टी के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल... मनीष सिसोदिया, और सत्येंद्र जैन को जेल में रखा गया है... हमें पूरा भरोसा है... जेल के ताले टूटेंगे और अरविंद केजरीवाल छूटेंगे. और आखिरी वाक्य को जोर जोर से बोल कर नारेबाजी भी कराई.
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