वो कानून जिसके खिलाफ हुए निर्वस्त्र प्रदर्शन, 16 साल भूखी रहीं इरोम शर्मिला... अब मणिपुर में 6 महीने और बढ़ा
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हिंसा की आग में पांच महीनों से जल रहे मणिपुर में छह महीनों के लिए AFSPA को बढ़ा दिया है. सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. AFSPA एक ऐसा कानून है जो सुरक्षाबलों को असीमित शक्तियां दे देता है. इस कानून का अक्सर विरोध भी होता है. खासकर मणिपुर में.
मणिपुर शांत ही नहीं हो रहा है. तीन मई से कुकी और मैतेई के बीच जातीय हिंसा चल ही रही थी. और अब दो छात्रों की मौत ने इस हिंसा को और भड़का दिया है.
ये हिंसा तब भड़की, जब सोशल मीडिया पर दो छात्रों की तस्वीरें वायरल हुईं. दोनों छात्र छह जुलाई से लापता बताए जा रहे थे. वायरल तस्वीरों में दोनों छात्रों के शव दिख रहे हैं. इसके बाद ही हिंसा भड़क गई. इंटरनेट और स्कूल बंद कर दिए गए हैं.
इसी बीच सरकार ने सिर्फ 19 थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे मणिपुर को 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर दिया है. इसके साथ ही यहां पर AFSPA यानी आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल स्पेशल पावर एक्ट को बढ़ा दिया है.
मणिपुर में 30 सितंबर को AFSPA की अवधि खत्म हो रही थी. लेकिन इसे फिर छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. अब यहां 31 मार्च तक ये कानून लागू रहेगा.
जिन 19 थानों में AFSPA लागू नहीं होगा, उनमें इम्फाल, लाम्फेल, सिटी, सिंग्जेमई, लामसांग, पस्तोल, वांगोई, पोरमपट, हेंगेंग, लामलाई, इरिबुंग, लेमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नाम्बोल, मोइरंग, काकचिन और जिरबाम शामिल हैं.
AFSPA एक ऐसा कानून है, जिसे 'अशांत इलाकों' यानी 'डिस्टर्ब एरिया' में लागू किया जाता है. 11 सितंबर 1958 को ये कानून बना था. इसे सबसे पहले पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू किया गया था. 90 के दशक में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी ये कानून लागू कर दिया गया.
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