विपक्षी एकता के नए सूत्रधार बन सकते हैं स्टालिन, एक मंच पर जोड़े दिग्गज
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लोकसभा चुनाव भले ही अभी एक साल दूर है, लेकिन बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता का तानाबाना बुना जाने लगा है. नार्थ की सियासत को साउथ के जरिए इस बार साधने की कवायद हो रही है, जिसके मुख्य सूत्रधार तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन बन रहे हैं और तमाम दलों को एकजुट कर सियासी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में अभी एक साल का वक्त बाकी है, लेकिन सियासी बिसात बिछाना शुरू हो गई है. बीजेपी एक तरफ 2014 और 2019 से भी बढ़ी जीत 2024 में दर्ज करने की कवायद में लगी है तो दूसरी तरफ पीएम मोदी को केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए विपक्षी एकती का तानाबाना इन दिनों दक्षिण भारत में बुना जा रहा है. इस विपक्षी एकजुटता के नए सूत्रधार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन बन रहे हैं, जिन दलों को कांग्रेस साथ लेने में सफल नहीं हो पा रही थी, उन छत्रपों को वो अपने मंच पर सिर्फ साथ लाए ही नहीं बल्कि बीजेपी के हथियार से ही पीएम मोदी को मात देने का एजेंडा भी सेट कर रहे हैं.
स्टालिन ने एक मार्च को अपने जन्मदिन पर चेन्नई में एकजुट हुए विपक्षी दलों के नेताओं से कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव इसलिए नहीं है कि इसमें कौन जीतता है बल्कि इसलिए है कि इसमें किसको नहीं जीतना चाहिए. स्टालिन ने कहा कि यह मेरे जन्मदिन का समारोह नहीं है बल्कि विपक्षी एकता की शुरुआत है. अब एमके स्टालिन ने एक महीने के बाद फिर विपक्षी दलों को सामाजिक न्याय सम्मेलन के नाम पर इकट्ठा किया है और उन्हें 2024 में बीजेपी के खिलाफ अहंकार छोड़कर एकजुट होने की अपील की है.
स्टालिन के मंच पर विपक्षी एकजुटता
'ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस' के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन, कांग्रेस के अशोक गहलोत, जेएमएम हेमंत सोरेन, आरजेडी के तेजस्वी यादव और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव में शामिल हुए. इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, टीआरएस नेता के केशव राव और एनसीपी नेता छगन भुजबल शिरकत किए.
जातिगत जनगणना पर विपक्ष एकमत
सामाजिक न्याय सम्मेलन में एमके स्टालिन ने बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दलों से अपने-अपने अहंकार को दरकिनार कर एक साथ आने का आह्वन किया. इतना ही नहीं उन्होंने जातिगत जनगणना के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए जमीन तैयार करने का भी मंत्र दिया. कांग्रेस, सपा और आरजेडी सहित कई दलों ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को धार देने के लिए आंदोलन शुरू करने की बात कही. अशोक गहलोत ने कहा कि विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को जातीय जनगणना के लिए केंद्र पर दबाव बनाना चाहिए.
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