लोन फ्रॉड केस: चंदा कोचर के बाद अब Videocon के मालिक वेणुगोपाल धूत गिरफ्तार
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लोन फ्रॉड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. ED ने इस मामले में Videocon के मालिक वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार किया है. इससे पहले सीबीआई ने इस मामले में ICICI बैंक की पूर्व एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था.
बैंक लोन फ्रॉड केस में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने बड़ी कार्रवाई की है. CBI ने इस मामले में Videocon के मालिक वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार किया है. इससे पहले सीबीआई ने इस मामले में ICICI बैंक की पूर्व एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था.
आरोप है कि जब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की कमान संभाल रही थीं, तब उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिया था. बदले में चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी नू रिन्यूएबल को वीडियोकॉन से निवेश मिला था. वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ का बैंक लोन देने के मामले में सीबीआई ने पिछले हफ्ते ICICI बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था. इसके बाद दोनों को मुंबई की विशेष कोर्ट ने तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया.
क्या है मामला?
2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को ICICI बैंक द्वारा लोन दिया गया था. जो बाद में एनपीए हो गया और बाद में इसे "बैंक फ्रॉड" कहा गया. सितंबर 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था. दरअसल, 2012 में, चंदा कोचर के नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ का लोन दिया और छह महीने बाद वेणुगोपाल धूत के स्वामित्व वाली मेसर्स सुप्रीम एनर्जी ने मैसर्स न्यूपावर रिन्यूएबल्स को 64 करोड़ का लोन दिया, जिसमें दीपक कोचर की 50% हिस्सेदारी है.
ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को एक पत्र लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था. इसमें दावा है कि धूत की कंपनी वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया और इसके बदले धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी 'नूपावर' में अपना पैसा निवेश किया.
वेणुगोपाल धूत को लाभ पहुंचाने का आरोप आरोप है कि इस तरह चंदा कोचर ने अपने पति की कंपनी के लिए वेणुगोपाल धूत को लाभ पहुंचाया. साल 2018 में यह खुलासा होने के बाद चंदा कोचर को बैंक से इस्तीफा देना पड़ा था. सीबीआई ने पहले फरवरी, 2018 में इस मामले में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी.
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