लॉकडाउन में गई नौकरी तो पत्नी समेत श्मशान घाट में रहने लगा, अब करता है अंतिम संस्कार
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कोरोना महामारी में श्मशान घाटों पर लाशों की लंबी लाइन लगी हुई है. यहां का नजारा बेहद ही डरावना है. लोग मजबूरी में अपनों को अंतिम विदाई देने के लिए आ रहे हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसने इस महामारी में नौकरी जाने के बाद श्मशान घाट को अपना घर बना लिया.
कोरोना महामारी में श्मशान घाटों पर लाशों की लंबी लाइन लगी हुई है. यहां का नजारा बेहद ही डरवाना है. लोग मजबूरी में अपनों को अंतिम विदाई देने के लिए आ रहे हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसने इस महामारी में नौकरी जाने के बाद श्मशान घाट को अपना घर बना लिया. वो यहां रहकर कोरोना से जान गंवाने वालों के अंतिम संस्कार की सभी जिम्मेदारियां निभा रहा है. इस कार्य में उसकी पत्नी भी हाथ बंटा रही है.(इनपुट- दिग्विजय पाठक) गुजरात के वड़ोदरा स्थित श्मशान घाट पर रह रहे इस शख्स की खूब चर्चा हो रही है. महाराष्ट्र के रहने वाले इस शख्स का नाम कन्हैयालाल शिर्के है. कन्हैयालाल शिर्के श्मशान घाट में आने वाली लाशों के साथ आने वाले परिजनों का दर्द तो कम नहीं कर सकता, लेकिन उनके परिजनों की अंतिम विदाई की सभी जिम्मेदारियां निभा कर नेक काम कर रहा है. कोरोना महामारी में नौकरी जाने के बाद कन्हैयालाल शिर्के ने श्मशान घाट को ही अपना घर बना लिया है.More Related News
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.