रेल की तरह बस में डायनामिक फेयर... केजरीवाल सरकार के इस प्लान से बदल जाएगा दिल्ली का ट्रांसपोर्ट सिस्टम
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दिल्ली में 'बस एग्रीगेटर योजना' को मंजूरी मिल गई है. यह योजना शहर के अंदर लोगों को सार्वजनिक परिवहन यानी बस से यात्रा करने के लिए प्रेरित करेगी. इन बसों में यात्रा को आरामदायक और सुविधाजनक बनाने के लिए AC, Wifi, रिक्लाइनिंग सीटें, जीपीएस, सीसीटीवी जैसी सुविधाएं होंगी. इस योजना के शुरू होने से न सिर्फ सड़कों पर वाहनों की भीड़ कम होगी, बल्कि वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी.
दिल्लीवासियों के लिए जल्द प्रीमियम बस सेवा उपलब्ध होगी. दिल्ली सरकार ने शहर के अंदर निजी वाहनों के इस्तेमाल और प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से ऐप-आधारित 'बस एग्रीगेटर योजना' को हरी झंडी दे दी है. दिल्ली मोटर वाहन लाइसेंसिंग ऑफ एग्रीगेटर (प्रीमियम बसें) योजना को उपराज्यपाल वी के सक्सेना से भी मंजूरी मिल गई है.
बस में मिलेंगी ये सुविधाएं
दिल्ली सरकार ने कहा कि यह योजना देश की पहली एग्रीगेटर योजना है जो खासकर प्रीमियम बसों के लिए तैयार की गई है. यह सेवा शहर के अंदर लोगों को सार्वजनिक परिवहन यानी बस से यात्रा करने के लिए प्रेरित करेगी. इन बसों में यात्रा को आरामदायक और सुविधाजनक बनाने के लिए AC, Wifi, रिक्लाइनिंग सीटें, जीपीएस, सीसीटीवी जैसी सुविधाएं होंगी. इस योजना के शुरू होने से न सिर्फ सड़कों पर वाहनों की भीड़ कम होगी, बल्कि वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी. ऐप के जरिए इन बसों के लिए टिकट बुक किए जाएंगे.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा, मुझे उम्मीद है ये सेवा दिल्ली की पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में बहुत बड़ा बदलाव लाएगी. लोग अपनी कार और स्कूटर छोड़कर बसों में सफर करना शुरू करेंगे. पिछले चार वर्षों में इसे सार्थक बनाने के लिये हम लोगों ने काफी मेहनत की है.
किन्हें मिलेगा बस के लिए लाइसेंस?
योजना के तहत बस लाइसेंस के लिए आवेदकों के पास सार्वजनिक परिवहन में वाहनों के संचालन और प्रबंधन में कम से कम तीन साल का अनुभव होना चाहिए. इसके अलावा एग्रीगेटर को महिला यात्रियों की सुरक्षा और रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे और बसों के मोबाइल ऐप व वेब आधारित ऐप्लीकेशन पर एक पैनिक बटन समेत रेपिड एक्शन सिस्टम उपलब्ध कराना होगा, जो हर समय काम करे. योजना में कहा गया है कि अगर बस सीएनजी है तो ऑनबोर्ड बस तीन साल से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए, और 1 जनवरी, 2025 के बाद सेवा में शामिल होने वाली बसें इलेक्ट्रिक होनी चाहिए. योजना के लिए आवश्यक है कि आवेदकों के पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित एक कॉर्पोरेट या ब्रांच ऑफिस होना चाहिए. एग्रीगेटर लाइसेंस 5 लाख रुपये के भुगतान पर पांच साल की अवधि के लिए वैध होगा. इसे 2500 रुपये का भुगतान करके समाप्ति से पहले अगले 5 सालों के लिए रिन्यूअल कराया जा सकता है. हालांकि, इलेक्ट्रिक बसों पर कोई लाइसेंस शुल्क नहीं लिया जाएगा. लाइसेंस धारकों को लाइसेंस मिलने की तारीख के 90 दिनों के अंदर मिनी या आम साइज की 25 प्रीमियम बसों का संचालन और रखरखाव करना आवश्यक होगा.
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