
राष्ट्रगान और रबींद्रनाथ टैगोर पर धर्मगुरु रामगिरि महाराज ने दिया विवादित बयान
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महाराष्ट्र के संभाजीनगर में धर्मगुरु रामगिरि ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जन, गण, मन... की बजाय वंदे मातरम हमारा राष्ट्रगान होना चाहिए. साथ ही रामगिरि ने महान कवि रबींद्रनाथ टैगोर की भी आलोचना की. रामगिरि महाराज ने कहा कि राष्ट्रगान भारत के लोगों के लिए नहीं था, इसलिए भविष्य में हमें इसके लिए भी संघर्ष करना होगा और वंदे मातरम् हमारा राष्ट्रगान होना चाहिए.
धर्मगुरु रामगिरि महाराज ने राष्ट्रगान और भारत के महान कवि रबींद्रनाथ टैगोर की आलोचना की है, जिसके बाद नया विवाद शुरू हो गया है. रामगिरि महाराज ने महाराष्ट्र के संभाजीनगर में कहा कि जन, गण, मन... की बजाय वंदे मातरम हमारा राष्ट्रगान होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि वंदे मातरम को राष्ट्रगान बनाने के लिए भविष्य में हम संघर्ष भी कर सकते हैं.
रामगिरि महाराज ने कहा कि रबींद्रनाथ टैगोर ने यह गीत ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम के समर्थन में गाया था. यह कभी भी राष्ट्र के नाम संबोधन नहीं था.
बयानो की वजह से विवादों में रहते हैं रामगिरि महाराज
रामगिरि महाराज विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं. पहले भी उनके बयानों पर विवाद हुआ है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने नासिक में एक कार्यक्रम में मोहम्मद पैगम्बर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी. जिसके बाद महाराष्ट्र में उनके खिलाफ 60 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हुईं थीं.
'भविष्य में हम इसके लिए भी संघर्ष करेंगे'
रामगिरि महाराज ने राष्ट्रगान के साथ-साथ महान कवि रबींद्रनाथ टैगोर की भी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रगान सुनते हैं, मैं नहीं जानता कि कितने लोग हमारे राष्ट्रगान का इतिहास जानते हैं, लेकिन आज मैं सच बताने जा रहा हूं. शायद आप लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है. रबींद्रनाथ टैगोर ने 1911 में कलकत्ता में इस गीत को गाया था, तब भारत एक स्वतंत्र देश नहीं था.

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