
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने वाले मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन, 85 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
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22 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में अयोध्या मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. वाराणसी के वरिष्ठ विद्वानों में गिने जाने वाले दीक्षित महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मूल निवासी थे, लेकिन उनका परिवार कई पीढ़ियों से वाराणसी में रह रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीक्षित के निधन पर दुख जताया है.
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का शनिवार सुबह निधन हो गया. परिवार के सदस्यों ने बताया कि 86 वर्षीय दीक्षित वृद्धावस्था के चलते उनका निधन हुआ है. उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया गया. वाराणसी के चौक इलाके के मंगलागोरी गली में स्थित अपने आवास पर सुबह लगभग 7:00 बजे पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने ली अंतिम सांस.
दरअसल, 22 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में अयोध्या मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. वाराणसी के वरिष्ठ विद्वानों में गिने जाने वाले दीक्षित महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मूल निवासी थे, लेकिन उनका परिवार कई पीढ़ियों से वाराणसी में रह रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीक्षित के निधन पर दुख जताया है.
'एक्स' पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "काशी के महान विद्वान और श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित का जाना आध्यात्मिक और साहित्यिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है."
आदित्यनाथ ने कहा, "संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति की सेवा के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. मैं प्रभु श्री राम से प्रार्थना करता हूं कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें तथा उनके शिष्यों एवं अनुयायियों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें."
पंडित लक्ष्मीकांत के बेटे सुनील दीक्षित ने बताया कि रोज की तरह पिताजी बीती रात पूरी तरह से सामान्य रूप से सोए. फिर उसके बाद सुबह लगभग 6:30 बजे के बाद वह उठे हैं और जैसे ही बाथरूम जाने के लिए आगे बड़े कि वह बेहोश हो गए और फिर उनकी सांस रुक गई. इसके पहले किसी भी तरह की गंभीर बीमारी नहीं थी. सिर्फ वृद्धावस्था के चलते उनकी मौत हुई है.

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