यूपी में क्या चल रहा है? बीजेपी नेता और योगी के मंत्री लगा रहे दिल्ली में हाजिरी
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उत्तर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर और डिप्टी चीफ मिनिस्टर ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भी दिल्ली में बीजेपी के बड़े नेताओं से मिलने पहुंचे. सीएम योगी तो इधर करीब 3 बार मुलाकात कर चुके हैं.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय क्या चल रहा है? पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह देश के सबसे बिजी लोगों में से हैं. उस पर भी इस समय तीन राज्यों में चुनाव और उसके बाद सीएम आदि चुनने का दबाव अलग से था. फिर भी अगर यूपी के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम से मिलने का समय निकाल रहे हैं तो इसका मतलब है कुछ तो चल रहा है यूपी में. उत्तर प्रदेश की राजनीति से देश की सत्ता चलती है. कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश को छींक आती है तो केंद्र को बुखार होना तय हो जाता है. हो भी क्यों नहीं आखिर लोकसभा की 80 सीटें यूपी से जीत कर सांसद पार्लियामेंट पहुंचते हैं और सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
दरअसल बीते सप्ताह सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली दौरे पर थे, तब उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी. इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी दिल्ली दौरे पर गए और कई नेताओं से मुलाकात की. मंगलवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली के दौरे पर थे.जैसा कि विदित है कि मौर्य अपनी हर विजिट के बाद पीएम और गृहमंत्री की मुलाकात की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया पर डालते हैं और यह भी लिखते हैं कि माननीय प्रधानमंत्रीजी और गृहमंत्री जी से प्रदेश के विकास को लेकर चर्चा हुई. ये बिल्कुल उसी तर्ज पर होता है जिस तर्ज पर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली आते हैं और मोदी-शाह से मुलाकात के बाद ट्वीट करते हैं.
तो जल्दी-जल्दी हुई इन यात्राओं का मकसद क्या समझा जाए? क्या मंत्रिमंडल विस्तार इतना बड़ा मुद्दा हो गया कि इसके लिए बारी-बारी महत्वपूर्ण लोगों से मोदी और शाह को मिलना पड़े? क्या तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति से भी उत्तर प्रदेश का मामला बड़ा हो गया है? निश्चित है कि बात सिर्फ इतनी नहीं है. तो फिर क्या हो सकता है? आइये इस समय यूपी में चल रहे कुछ राजनीतिक मुद्दों की पड़ताल करते हैं.
क्या राजभर और दारा सिंह को मंत्री बनाने का है मामला तूल पकड़ रहा है
उत्तर प्रदेश में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर और पिछड़ों के नेता दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाने का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. दिवाली के पहले से यह तय था कि ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी. फिर हुआ कि घोसी उपचुनाव के बाद इन दोनों को शपथ दिलाई जाएगी. मामला नहीं सुलझ सका और राजभर इशारों ही इशारों में दावा करते रहे कि उनको केंद्र से आश्वासन मिला है, उनका मंत्री बनना तय है. फिर हुआ कि पांचों राज्यों में चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजभर एक दूसरे को नहीं भाते हैं. योगी सरकार पार्ट 1 में ओमप्रकाश राजभर मंत्री हुआ करते थे. पर योगी से उनकी ऐसी ठनी कि उन्हें न केवल मंत्रिमंडल छोड़ना पड़ा बल्कि वे विपक्ष के साथ हो लिए. 2022 विधानसभा चुनावों में यूपी में बीजेपी की सरकार तो बन गई पर पिछड़ा बाहुल्य वाले जिलों में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया. बीजेपी जानती है कि अगर 2024 में केंद्र में फिर से बीजेपी की वापसी करनी है तो उसे यूपी में अधिकतम सीटें कब्जा करनी होगी. यह संभव तभी है जब पिछड़ों का समर्थन हासिल किया जा सके. इसी वादे के साथ राजभर को समाजवादी पार्टी से तोड़कर एनडीए गठबंधन में और दारासिंह को बीजेपी में लाया गया था. पर अभी तक इन दोनों की ताजपोशी नहीं सकी है.
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