यूपी के मुख्यमंत्री योगी और भाजपा को क्यों था इस तस्वीर का इंतज़ार?
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ये तस्वीर नहीं है. गर्म थपेड़ों वाली राजनीतिक लू में राहत का शर्बत है. भाजपा को और CM योगी को इस फोटो से राहत का कूलर मिल गया है.
पिछले दो महीने से उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए पशोपेश की स्थिति बनी हुई थी. लगातार अस्थिरता और असहमतियों का माहौल बना हुआ था. ऐसा लग रहा था कि भाजपा में जिस चेहरे को तीसरा सबसे अहम चेहरा माना जाता है, उस चेहरे को कुछ लोग पसंद नहीं कर रहे हैं. समन्वय और संतुलन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी अपनी ताकत लगा रखी थी. लगातार बैठकों का दौर, पर्यवेक्षकों का दौरा, दिल्ली में रिपोर्ट तलब और सवाल-जवाब का क्रम जारी था. इस अस्थिरता में असहमतियों ने अवसर तलाशा और अपना विरोध लिखकर या बयान देकर दर्ज किया. केंद्रीय पर्यवेक्षकों से लगातार मुलाकातें होती रहीं और राज्य के बड़े छोटे चेहरे, विधायक और पार्टी पदाधिकारी अपने विरोधों, असहमतियों की कहानी दर्ज कराते रहे. खुद उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने बयान दिया कि 2022 में पार्टी का राज्य में नेतृत्व कौन करेगा, इसका फैसला हाईकमान को ही करना है. इसी बयान को पिछले चुनाव से पहले भाजपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी दोहराया. अडिग रहे योगी लेकिन अपने विरोध के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अडिग रहे. उन्होंने न तो राज्य में कैबिनेट विस्तार की बात स्वीकारी और न ही विरोधियों के प्रति कोई लचीलापन दिखाया. दरअसल, योगी जानते हैं कि चुनाव के मुहाने पर खड़ी भाजपा इस वक्त अस्थिरता और उनके चेहरे के बिना आगे बढ़ने का जोखिम नहीं उठा सकती. यही एक बात योगी की स्थिति को पूरी पार्टी के सामने सबसे मजबूत स्थिति में रखती है. योगी की राजनीति और प्रशासन प्रबंधन का तरीका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलता जुलता है. नौकरशाही को मजबूत रखकर अपने हाथ में सारे घोड़ों की लगाम वाली शैली में योगी भी काम करते हैं. प्रदेश में भाजपा के लिए फिलहाल योगी से बड़ा चेहरा और कोई नहीं है. भाजपा में भी योगी का कद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बाद तीसरे स्थान पर नज़र आता है. शायद इसीलिए ऐसी कई बातें और बदलाव जो भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व या संघ की सोच में पनप रहे थे, उन्हें भी योगी की कीमत पर लागू करने का जोखिम किसी ने भी नहीं उठाया.राजकोट के टीआरपी गेमजोन में लगी आग से 28 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. मृतकों के शव इतनी बुरी तरह से जल गए थे कि उनकी पहचान तक मुश्किल थी. ऐसे में गेमजोन के एक मालिक की जलकर मौत होने का दावा किया गया था. इसके लिए मिले अवशेषों के डीएनए सैंपल का मिलान गेम जोन के मालिकों की मां से किया गया. इसमें से एक सैंपल मैच हुआ है. इससे यह पुष्टि की गई कि मालिक प्रकाश हिरन की भी जलकर मौत हो गई थी.
हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.