'मोदी जी भगवान को भी समझा सकते हैं, ब्रह्मांड में क्या चल रहा है...', अमेरिका में बोले राहुल गांधी
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राहुल गांधी ने कहा, भारत में राजनीति के जो सामान्य टूल थे, वह अब काम नहीं कर रहे हैं. लोगों को धमकी दी जा रही है. एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में भारत में अब राजनीति करना आसान नहीं रह गया. ऐसे में हमने भारत जोड़ो यात्रा करने का फैसला किया था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को अमेरिका के दौरे पर पहुंचे. यहां सैन फ्रांसिस्को में उन्होंने भारतीयों से मुलाकात की और उन्हें संबोधित किया. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि कुछ महीने पहले हमने कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा शुरू की थी. मैं भी यात्रा कर रहा था. हमने देखा था कि भारत में राजनीति के जो सामान्य टूल थे (जैसे जनसभा, लोगों से बातचीत, रैली) वे अब काम नहीं कर रहे हैं. हमें राजनीति के लिए जिन संसाधानों की जरूरत पड़ती है, उन्हें बीजेपी और आरएसएस नियंत्रित कर रहे हैं. लोगों को धमकी दी जा रही है. एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में हमें लगा कि कहीं न कहीं भारत में अब राजनीति करना आसान नहीं रह गया. ऐसे में हमने यात्रा करने का फैसला किया.
राहुल ने पीएम मोदी पर कसा तंज राहुल गांधी ने कहा, दुनिया इतनी बड़ी है कि कोई भी व्यक्ति यह नहीं सोच सकता कि वह सबके बारे में सबकुछ जानता है. यह एक बीमारी की तरह है कि भारत में कुछ लोग ऐसे हैं, जो सोचते हैं कि वे सबकुछ जानते हैं. मुझे लगता है कि उन्हें लगता है कि भगवान से ज्यादा जानते हैं. वे भगवान के सामने बैठकर उन्हें भी समझा सकते हैं कि क्या चल रहा है. पीएम मोदी भी उनमें से एक हैं.
राहुल ने कहा, मुझे लगता हैं कि पीएम मोदी से कहा जाए कि वे भगवान के सामने बैठ जाएं, तो वे भगवान को समझाने लगेंगे कि ब्रह्मांड में क्या चल रहा है. भगवान भी भ्रमित हो जाएंगे कि उन्होंने क्या बनाया है. भारत में यही चल रहा है. भारत में कुछ लोग ऐसे हैं, जो सबकुछ जानते हैं. जब वे वैज्ञानिक के पास जाते हैं, तो उन्हें विज्ञान के बारे में बताते हैं, जब वे इतिहासकार के पास जाते हैं, तो उन्हें इतिहास के बारे में बताते हैं. आर्मी को युद्ध के बारे में, एयरफोर्स को उड़ने के बारे में सबको सबकुछ बताते हैं. लेकिन सही बात ये है कि उन्हें कुछ समझ नहीं आता. क्योंकि अगर आप किसी को सुनना नहीं चाहते तो आप उसके बारे में कुछ नहीं जान सकते.
'यात्रा में पूरा भारत हमारे साथ था'
राहुल ने कहा, जब हमने यात्रा शुरू की, सोचा देखेंगे कि क्या होता है? 5-6 दिन बाद हमें अहसास हो गया था कि हजारों किलोमीटर की यात्रा आसान नहीं है. मेरे घुटने की चोट से मुझे दिक्कत होने लगी. हमारे पास कोई विकल्प भी नहीं था. हम हर रोज 25 किलोमीटर की यात्रा कर रहे थे. तीन हफ्ते बाद चौंकाने वाली बात हुई. हमने अहसास किया कि हमें थकान नहीं हो रही है. मैंने अपने साथ चल रहे लोगों से पूछा कि क्या उन्हें थकान हो रही है, लोगों ने कहा कि थकान नहीं हो रही है.
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