मोदी के सामने बोले वेंकैया नायडू, भगवान के बाद अटल-आडवाणी को मानता था, मगर कभी पैर नहीं छुए
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वेंकैया नायडू ने कहा कि आज एक तरफ मैं बहुत खुश हूं तो दूसरी तरफ आप सभी को याद करूंगा. उन्होंने कहा कि मैंने 5 साल जिम्मेदारी संभाली. एक तरफ उपराष्ट्रपति की भूमिका थी तो दूसरी तरफ अपर हाउस. नायडू ने ये भी बताया कि जब शहर में पार्टी के बड़े नेता आते थे तो मैं पोस्टर चिपकाता था. दीवारों पर लिखा करता था.
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का सोमवार को जीएमसी बालयोगी सभागार में विदाई समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में नायडू ने अपने कई पुराने किस्से सुनाए. नायडू ने उपस्थित सांसदों और मंत्रियों को सीख और सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि मेहनत करने से ही सफलता मिलती है. आपकी मेहनत ही आपको आगे लेकर जाएगी. उन्होंने कहा कि मैंने कभी किसी के पैर नहीं छुए. बता दें कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के कार्यकाल का आज आखिरी दिन था.
वेंकैया नायडू ने कहा कि आज एक तरफ मैं बहुत खुश हूं तो दूसरी तरफ आप सभी को याद करूंगा. उन्होंने कहा कि मैंने 5 साल जिम्मेदारी संभाली. एक तरफ उपराष्ट्रपति की भूमिका थी तो दूसरी तरफ अपर हाउस. मैंने हमेशा एक गरिमा बनाए रखने की कोशिश की. मैं खुद देवियो-सज्जनों या ब्रदर्स और सिस्टर्स अथवा लेडीज या जेंटलमैन के साथ संबोधित करता था. आप सभी से नमस्ते के साथ अभिवादन होता था. ये हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, पीयूष गोयल, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य नेता मौजूद थे.
संघर्ष करके उपराष्ट्रपति तक का सफर तय किया
उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व गुरु बनने जा रहा है. भारत विविधताओं में एकता के तौर पर जाना जाता है. यहां अलग-अलग भाषा से लेकर संस्कृति तक अपनी पहचान रखती हैं. उन्होंने सांसदों को मेहनत करके आगे बढ़ने की सीख दी. नायडू ने ये भी बताया कि उन्होंने कैसे संघर्ष करके उपराष्ट्रपति तक का सफर तय किया.
कड़ी मेहनत से मिलती सफलता
नायडू ने कहा कि वह भगवान के बाद सबसे ज्यादा अटलजी और आडवाणी जी को मानते थे, लेकिन कभी भी उनके पैर नहीं छुए. हालांकि, उन दोनों के लिए मेरे मन में सम्मान और लगाव वैसा ही रहा. उन्होंने आगे कहा कि मैं ये बात इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि कड़ी मेहनत से आप सफलता के सोपान तय कर सकते हैं. आपकी मेहनत की आपको सफलता दिलाएगी.
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
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