मॉनसून में देरी का खेती पर पड़ेगा असर! किसान जरूर जान लें बारिश और मौसम का पूर्वानुमान
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मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा. इससे बारिश भी सामान्य दर्ज की जाएगी. हालांकि आईएमडी ने जुलाई में ही मॉनसून के बीच अल नीनो की आशंका भी जताई है. ऐसे में अगर मॉनसून में देरी होती है और बारिश कम होती है तो देश के कई राज्यों में सूखे की स्थिति बन सकती है.
केरल में इस बार देर से मॉनसून दस्तक दे सकता है. मौसम विभाग के मुताबिक 04 जून तक केरल के तट पर मॉनसून के पहुंचने की संभावना है. पिछले साल 2022 में मानसून 29 मई को, 2021 में 03 जून को और 2020 में 01 जून को पहुंचा था. ऐसे में मॉनसून में देरी के चलते खेती-किसानी बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है.
04 जून तक केरल में दस्तक देगा मॉनसून दक्षिण पश्चिम मॉनसून सामान्य तौर पर केरल में 01 जून को प्रवेश करता है. हालांकि इसमें सात दिनों तक का अंतर देखा जा सकता है. देश के जमीनी इलाकों में दक्षिण पश्चिम मॉनसून का आगे बढ़ना केरल में इसके आगमन पर निर्भर करता है. मौसम विभाग ने इस साल 04 जून तक केरल में मॉनसून के दस्तक देने की संभावनाएं जताई है.
इस साल सामान्य मॉनसून की संभावना मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा. इससे बारिश भी सामान्य दर्ज की जाएगी. हालांकि आईएमडी ने जुलाई में ही मॉनसून के बीच अल नीनो की आशंका भी जताई है. ऐसे में अगर बारिश कम होता है तो देश के कई राज्यों में सूखे की स्थिति बन सकती है. किसान चिंतित हैं कि मॉनसून में देरी और अल नीनो का असर कहीं खेती-बाड़ी को बुरी तरह से प्रभावित न कर दे.
मॉनसून में हल्की सी देरी से प्रभावित हो सकती है खेती-किसानी बता दें कि देश की अधिकांश कृषि बारिश आधारित है. खेती-किसानी में बढ़िया उपज के लिए मॉनसून की बरसात मायने रखती है. 52 फीसद खेती इसी मॉनसून के बारिश पर आधारित है. ऐसे में मॉनसून में देरी या बारिश में कमी बड़े भूभाग पर खेती को प्रभावित कर सकती है. देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 40 परसेंट खाद्यान्न मॉनसून की बारिश से पैदा होता है. मॉनसून में हल्की देरी भी इसमें कमी ला सकती है.
पिछले साल कई राज्यों में थी सूखे की स्थिति बता दें कि पिछले साल देशभर के कई हिस्सों में सूखे की स्थिति देखी गई थी. उत्तर प्रदेश के तकरीबन 62 जिले सूखे प्रभावित बताए गए थे. बिहार और झारखंड में कमजोर मॉनसून के चलते बुवाई में देरी हुई थी. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान, महाराष्ट्र, बंगाल में किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ी थी.
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