
'मेरी मर्जी चलती तो मसूद अजहर का गला घोंट देता...', जेल से एयरपोर्ट ले जाने वाले अफसर की जुबानी, IC 814 हाईजैकिंग की कहानी
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आतंकी मौलाना मसूद अजहर की रिहाई को याद करके पूर्व पुलिस अफसर एसपी वैद्य बेहद निराश देखे गए. उन्होंने कहा, मैंने अपने जीवन में कभी इतना निराश महसूस नहीं किया. मैं जीवनभर के लिए डरा हुआ रह गया. हमारे देश को उन्हें रिहा करके भारी कीमत चुकानी पड़ी. IC-814 अपहरण से पहले मसूद अजहर को कोट भलवाल जेल से रिहा करने की कई साजिशें हुई थीं.
नेटफ्लिक्स की IC-814 वेब सीरीज विवादों में आ गई है. कंधार विमान हाईजैक कांड पर आधारित इस सीरीज को लेकर सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है. इस बीच, जम्मू कश्मीर के तत्कालीन डीआईजी एसपी वैद्य ने आजतक से बातचीत की है और IC 814 हाईजैकिंग की पूरी कहानी सुनाई है. उन्होंने आतंकी मसूद अजहर को जेल से एयरपोर्ट ले जाने के बारे में भी बताया है. एसपी वैद्य का कहना था कि मसूद अजहर कोट भलवाल जेल में था. उसे जम्मू ले गए थे. मेरी मर्जी चलती तो उसका गला घोंट देता और उसकी जान ले लेता. उस वक्त मेरा खून खोल रहा था.
एसपी वैद्य जम्मू कश्मीर के डीजीपी भी रह चुके हैं. ये पूरी कहानी 24 दिसंबर 1999 की है. आतंकी मसूद अजहर को विमान हाईजैक के सात दिन बाद यानी 31 दिसंबर 1999 को रिहा कर दिया गया था. तत्कालीन डीआईजी एसपी वैद्य को उस समय मौलाना मसूद अजहर को कोट भलवाल जेल से रिहा करने और उसे जम्मू टेक्निकल एयरपोर्ट पर ले जाने के आदेश दिए गए थे. IC-814 अपहरण पर डॉ. एसपी वैद्य ने कहा, मुझे पुलिस मुख्यालय में बुलाया गया और मौलाना मसूद अजहर को रिहा करने के लिए कोट भलवाल जेल जाने को कहा गया. यह जानकर आश्चर्य हुआ कि हमारी सरकार आतंकवादियों के सामने झुक गई है. यह देश के लिए सबसे शर्मनाक क्षण था. जब मैं जेल गया तो मैंने जेल अधीक्षक से उसे रिहा करने के लिए कहा.
अगर मेरी मर्जी चलती तो...
वैद्य आगे बताते हैं कि मौलाना मसूद अजहर को रिहा कर दिया गया. मैंने सिपाहियों को उसके चेहरे को मंकी कैप से ढकने का आदेश दिया. मसूद अजहर ने मना कर दिया. मैंने उसे लताड़ा और उसे घुटने टेकने पर मजबूर किया और उसे मंकी कैप पहनने के लिए मजबूर किया. जेल के बाहर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया खड़ी थी. मसूद अजहर की बॉडी लैंग्वेज अहंकारी थी. हमने उसका चेहरा ढक दिया और उसे टेक्निकल एयरपोर्ट जम्मू ले गए. यदि मेरी मर्जी चलती तो मैं उसे जिंदा नहीं जाने देता. मैं उसका गला घोंट देता और उसे मार डालता. लेकिन मैं ड्यूटी से बंधा हुआ अधिकारी था, मुझे उसे जम्मू टेक्निकल एयरपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को सौंपना पड़ा. मैं उस दिन बहुत उदास था. हमें उसे जाने नहीं देना चाहिए था.
जीवन में कभी इतना निराश महसूस नहीं किया...
आतंकी मौलाना मसूद अजहर की रिहाई को याद करके एसपी वैद्य बेहद निराश देखे गए. उन्होंने कहा, मैंने अपने जीवन में कभी इतना निराश महसूस नहीं किया. ये पूरा घटनाक्रम मेरे लिए जिंदगी भर परेशान करने वाला रहा है. हमारे देश को उन्हें रिहा करके भारी कीमत चुकानी पड़ी. IC-814 अपहरण से पहले मसूद अजहर को कोट भलवाल जेल से रिहा करने की कई साजिशें हुई थीं. एक बार 7 आतंकवादियों के एक ग्रुप ने कोट भलवाल जेल पर हमला करने की साजिश रची थी ताकि मसूद अजहर भाग जाए. हमारे पास पहले से ही इनपुट था और हमने सफलतापूर्वक उन आतंकवादियों को मार गिराया.

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