मिशन 2024: हरियाणा में चुनावी शंखनाद के लिए अमित शाह ने सिरसा को ही क्यों चुना?
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हरियाणा के सिरसा में 18 जून को गृह मंत्री अमित शाह की रैली होनी है. लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी का शंखनाद मानी जा रही इस रैली के लिए अमित शाह ने सिरसा को ही क्यों चुना?
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने का जश्न मना रही है. इस जश्न में भी पार्टी का ध्यान लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक, संगठन की खामियों और गठबंधन की गांठें दुरुस्त करने पर है. बीजेपी का फोकस उन राज्यों पर, उन सीटों पर अधिक है जहां गठबंधन में खटपट की खबरें हैं या पार्टी की स्थिति कमजोर होने की आशंकाएं जताई जा रही हैं.
लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के अभियान का आगाज माने जा रहे इस जश्न में पार्टी ने बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया है. बड़े नेताओं की रैलियों का कार्यक्रम उन राज्यों, उन इलाकों में है जहां पार्टी को मजबूत फाइट की उम्मीद है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह उन इलाकों में मोर्चा संभालेंगे जहां पार्टी की स्थिति नेतृत्व के नजरिए से उम्मीदों के अनुरूप नहीं है. अमित शाह 18 जून को सिरसा में जनसभा को संबोधित करेंगे.
हरियाणा में होने जा रही अमित शाह की ये जनसभा सियासी दृष्टि से इसलिए भी खास है क्योंकि आयोजन के लिए सिरसा को चुना गया है. अब सवाल ये भी उठ रहे है कि अमित शाह ने हरियाणा में चुनाव अभियान का आगाज करने के लिए सिरसा को ही क्यों चुना? हरियाणा बीजेपी के नेता अपने बड़े नेता की रैली के लिए आयोजन स्थल के चयन पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
वहीं, राजनीति के जानकार इसके पीछे मुख्य रूप से तीन कारण बता रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने इसे लेकर कहा कि अमित शाह की रैली के लिए सिरसा के चयन के पीछे रणनीति साफ है. एक तो सिरसा हरियाणा के सबसे कद्दावर राजनीतिक परिवारों में से एक चौटाला परिवार का गृह जिला है. दूसरी वजह किसान आंदोलन से पनपी नाराजगी को दूर करने की कोशिश और तीसरी वजह है सिरसा का राजस्थान की सीमा से सटा होना.
दुष्यंत से गठबंधन पर साफ हो सकती है तस्वीर
हरियाणा की सरकार में बीजेपी के साथ जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) गठबंधन साझीदार है. बीजेपी और जेजेपी में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं नजर आ रहा है. चौटाला परिवार से ही आने वाले दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी और बीजेपी के नेताओं के बीच बयानबाजियों का दौर चल रहा है जिसके बाद गठबंधन के भविष्य को लेकर भी अटकलों का दौर तेज हो गया है.
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