
मिडिल ईस्ट समेत 50 से ज्यादा देशों में स्थाई सैन्य बेस, क्यों US बिना जंग के भी विदेशी धरती पर टिका रह पाता है?
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मध्यस्थ के रोल में आए डोनाल्ड ट्रंप सीजफायर का एलान कर चुके, लेकिन ईरान और इजरायल के बीच जंग की चिंगारी अभी बुझी नहीं है. इस बीच ईरान ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अमेरिका ने बीच में आना बंद नहीं किया, तो वो मिडिल ईस्ट स्थित उसके सैन्य बेस पर हमले जारी रखेगा. अकेले मध्य पूर्व ही नहीं, दुनिया के बहुत से देशों में यूएस के सैन्य ठिकाने हैं.
ईरान और इजरायल की लड़ाई के बीच कई अलग बातें निकलकर आ रही हैं. मसलन, ज्यादातर देश अपने यहां किसी भी और मुल्क की सेना को वेलकम नहीं करते, भले ही उनके बीच कितने ही अच्छे रिश्ते क्यों न हों. वहीं अमेरिका के सैन्य बेस बेहद आक्रामक देशों में भी बने हुए हैं. कई बार उसने युद्ध रोकने के लिए किसी देश में एंट्री की और फिर वहीं रुक गया. कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां की सरकार से लेकर जनता ने भी इसका ऐसा विरोध किया कि वॉशिंगटन को अपना बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ा.
कहां-कहां हैं मिलिट्री बेस
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय कम से कम 51 देशों में 128 मिलिट्री बेस बनाए हुए है. इनमें में कुछ बेस ऐसे हैं, जो 15 सालों या उससे भी ज्यादा वक्त से चल रहे हैं. यहां अमेरिकी सेना को काफी ताकत मिली हुई है. यहां तक कि इन देशों में अमेरिकियों के लिए अलग बाजार और लाइफस्टाइल भी मिलेगी. सेना अपने परिवारों समेत लगभग सैटल हो चुकी. इसके अलावा कुछ ऐसे बेस भी हैं, जो स्थाई नहीं लेकिन यूएस डिफेंस की वहां पहुंच है. मध्य पूर्व में कतर, कुवैत, यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, इराक, सीरिया, तुर्की, मिस्र और बहरीन में कई एक्टिव ठिकाने हैं.
इस बहाने शुरू किया घर में घुसना
अपने देश में विदेशी सेना की मौजूदगी का मतलब है, अपने घर में बाहरी लोगों को रखना. लेकिन वॉशिंगटन ने फॉरवर्ड प्रेजेंस के नाम पर ये काम जारी रखा. मतलब युद्ध से पहले ही अपनी सेना को मोर्चों पर तैनात रखना. दरअसल दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद यूएस को समझ आया कि केवल अपनी सीमाओं में रहते हुए ग्लोबल असर नहीं बनाया जा सकता.

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