
ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और प्रकाश सिंह बादल... विपक्ष की 'महारैली' में नीतीश की क्या दावेदारी?
AajTak
2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में विपक्षी एकजुटता की पहली बड़ी तस्वीर इस महीने 25 सितंबर को दिखने वाली है. वो तस्वीर इसलिए मायने रखती है क्योंकि उसमें नीतीश कुमार होंगे, ममता बनर्जी दिखेंगी और अखिलेश यादव जैसे कई दूसरे नेता भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे. नीतीश की दावेदारी को लेकर भी उस महारैली में काफी कुछ स्पष्ट हो सकता है.
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी गई हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचानक से सक्रिय हो गए हैं. सियासी खेला ऐसा किया है कि विपक्षी खेमे में उनका कद काफी बढ़ गया है. कुछ समय पहले तक जो तवज्जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दी जा रही थी, अब नीतीश कुमार भी उस रेस में शामिल हो गए हैं. प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनते हैं या नहीं, ये वक्त बताएगा, लेकिन विपक्ष को एक करने की कवायद उनकी तरफ से शुरू कर दी गई है.
इस कवायद का सबसे बड़ा नमूना 25 सितंबर को दिखने वाला है. चौधरी देवी लाल की जयंती पर फ़तेहबाद में ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में आईएनएलडी बड़ी रैली करने वाली है. अब ये रैली कहने को चौधरी देवी लाल के सम्मान में रखी जाएगी, लेकिन राजनीतिक मौसम में इसे विपक्षी एकता का एक बड़ा मंच भी बनाया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इस रैली में ममता बेनर्जी, तेजस्वी यादव, प्रकाश सिंह बादल, अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी दलों के नेता मौजूद रहने वाले हैं. बड़ी बात ये है कि विपक्ष को एकजुट करने की कसम खाने वाले नीतीश कुमार खुद इस रैली में शिरकत करेंगे. ऐसे में उनकी दावेदारी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं? क्या विपक्ष नीतीश कुमार को अपना पीएम उम्मीदवार बनाएगा? क्या 25 सितंबर की रैली से नीतीश के राजनीतिक भविष्य को लेकर कोई बड़ी खबर आएगी? विपक्षी एकजुटता का जो सपना देखा जा रहा है, क्या उसकी तस्वीर साफ हो जाएगी?
अब नीतीश कुमार खुद प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर नहीं कर रहे हैं. वे कई बार कई मंचों से ये साफ कर चुके हैं कि उन्हें पीएम बनने की कोई इच्छा नहीं है. लेकिन विपक्षी एकजुटता में किसी एक चेहरे पर सहमति बनना जरूरी है. वर्तमान में नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में ऐसा सियासी उलटफेर किया है कि विपक्षी खेमे में उनकी दावेदारी काफी मजबूत हुई है. वे अपने साथ ऐसे जातीय समीकरण भी लेकर आ रहे हैं कि उनका पीएम उम्मीदवार बनना विपक्ष में नई जान फूंक सकता है. नीतीश ओबीसी की कुर्मी जाति से आते हैं जिसका देश के कई राज्यों में निर्णायक जनाधार है. इसके अलावा एक साफ-सुथरी छवि और सुशासन बाबू वाली इमेज भी नीतीश की दावेदारी को विपक्षी खेमें एक खास जगह दिलवाती है.
अब ये समीकरण जेडीयू समझ रही है, इसी वजह से बिना कोई बड़े बयान के नीतीश के पक्ष में माहौल बनाने की कवायद शुरू की गई है. दिल्ली दौरे के दौरान अरविंद केजरीवाल से मिलना, राहुल गांधी के साथ मंथन करना, मुलायाम सिंह यादव से चर्चा होना, ये कोई आकस्मिक नहीं है बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. इस रणनीति में नीतीश अपनी दावेदारी नहीं कर रहे हैं लेकिन बाकी सबकुछ हो रहा है. उन्हीं की अगुवाई में विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश हो रही है. हर मुलाकात के दौरान कहा जा रहा है कि विपक्षी एकता पर मंथन किया गया है. बीजेपी को हराने के लिए साथ आने की बात कही गई है.
अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य, ऑपरेशन लोटस, इन लोगों द्वारा खुले आम MLA की ख़रीद फ़रोख़्त करके जनता द्वारा चुनी सरकारों को गिराना, भाजपा सरकारों का बढ़ता निरंकुश भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई है. इसी तरह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के साथ वर्तमान राजनीतिक स्थिति और समीकरणों पर मंथन हुआ है. अब दोनों ही मुलाकात में समान बात ये है कि ड्राइविंग सीट पर नीतीश कुमार बैठे हैं. विपक्षी एकता की जिम्मेदारी उन्होंने अपने कंधों पर ले ली है.
बड़ी बात ये है कि इस विपक्षी एकजुटता में नीतीश कांग्रेस को भी साथ रख रहे हैं. सीपीआई नेता सीताराम येचुरी से मुलाकात करने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि समय आ गया है कि सभी पार्टियां साथ आएं. सारा ध्यान इस बात पर रहना चाहिए कि लेफ्ट पार्टियां, क्षेत्रीय पार्टियां और कांग्रेस साथ आए. अगर सब साथ आ जाते हैं तो ये बड़ी बात होगी. यहां ये समझना जरूरी है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर थर्ड फ्रंट की बात कर चुके हैं जहां पर कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं है, इसी तरह ममता बनर्जी भी ऐसी कवायद कर चुकी हैं. अब उन अटकलों के बीच नीतीश का कांग्रेस को साथ लेकर चलना मायने रखता है. कांग्रेस जरूर राहुल गांधी का चेहरा आगे कर रही है, लेकिन अगर विपक्षी एकजुटता होती है तो नीतीश के चेहरे पर भी सहमति बन सकती है और शायद कांग्रेस भी उसका ज्यादा विरोध ना करे.

नवंबर में गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जबकि दिल्ली चौथे स्थान पर रही. उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई शहरों ने भी उच्च PM2.5 स्तर दर्ज किए. पराली जलाने का प्रभाव कम होने के बावजूद प्रदूषण अधिक रहा. शिलांग सबसे स्वच्छ शहर रहा. रिपोर्ट ने वर्षभर के प्रदूषण के मुख्य स्रोत परिवहन, उद्योग और ऊर्जा संयंत्र बताए हैं.

लोकसभा में शुक्रवार को कई प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए गए, जिनमें सुप्रिया सुले का राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025 शामिल है, जो कर्मचारियों को ऑफिस समय के बाद काम से जुड़े कॉल और ईमेल से मुक्त रहने का अधिकार देने का प्रस्ताव करता है. कांग्रेस सांसद कडियम काव्या का मेनस्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024 और लोजपा सांसद शंभवी चौधरी का बिल महिलाओं और छात्राओं के लिए पेड पीरियड लीव सुनिश्चित करने पर केंद्रित है.

दिल्ली के टिकरी कलां में एक किराना दुकान में आग लगने से पति-पत्नी की दम घुटने से मौत हो गई. दुकान के अंदर धुआं भरने के बीच करंट लगने के कारण शटर नहीं खुल पाया और दोनों बाहर नहीं निकल सके. पुलिस ने बताया कि आग शॉप काउंटर में शॉर्ट सर्किट से लगी, जिससे प्लास्टिक सामग्री ने आग पकड़ ली और धुआं तेजी से फैल गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

इंडिगो संचालन संकट के कारण कई उड़ानें रद्द होने और क्षमता घटने से अचानक बढ़े किरायों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने घरेलू उड़ानों पर अधिकतम किराया सीमा लागू कर दी है, जिसके तहत 500 किमी तक 7,500 रुपये, 500–1000 किमी के लिए 12,000 रुपये, 1000–1500 किमी के लिए 15,000 रुपये और 1500 किमी से अधिक दूरी के लिए 18,000 रुपये से ज्यादा किराया नहीं लिया जा सकेगा.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इंडिगो को निर्देश दिया है कि सभी लंबित रिफंड 7 दिसंबर रात 8 बजे तक बिना देरी पूरी तरह लौटा दिए जाएं और रद्द हुई उड़ानों से प्रभावित यात्रियों से कोई री-शेड्यूलिंग शुल्क न लिया जाए. मंत्रालय ने स्पेशल पैसेंजर सपोर्ट और रिफंड सेल बनाने, प्रभावित यात्रियों से खुद संपर्क करने और ऑटोमेटिक रिफंड सिस्टम जारी रखने को कहा है.

श्रीनगर इन दिनों एक ब्लैक बियर से परेशान है. कभी NIT कैंपस, कभी कश्मीर यूनिवर्सिटी, तो कभी SKIMS... अब यह भालू निगीन झील के आसपास घूमता दिखा है. विभाग ने शहरभर में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया है, जिसमें ड्रोन, ट्रैंक्विलाइजर गन, रैपिड-रिस्पॉन्स टीमें और एंबुलेंस तैनात हैं. अधिकारियों ने कहा है कि बाहर केवल जरूरत होने पर ही निकलें.

इंडिगो के ऑपरेशनल संकट का असर 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ. देश के कई बड़े एयरपोट्स पर आज सैकड़ों उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे हजारों यात्री परेशान देखे गए. कई एयरपोर्ट पर यात्रियों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ा. कुछ जगह इंडिगो के काउंटर्स पर सहयोग ना करने की शिकायतें सामने आईं. कंपनी लगातार शेड्यूल में बड़े बदलाव कर रही है. अब तक 11 बड़े एयरपोर्ट्स पर कुल 571 फ्लाइट्स रद्द हो चुकी हैं.

हरियाणा में चार मासूमों के सीरियल मर्डर केस ने झकझोर कर रख दिया है. खूबसूरती से जलन, रिश्तेदारों की बच्चियों और अपने ही तीन साल के बेटे तक को पानी में डुबोकर मारने वाली साइको किलर पूनम अब उसी गांव की जेल में है, जहां वह पली-बढ़ी. गिरफ्तारी के बाद से पूनम जेल की बैरक में बेचैनी है. न ठीक से नींद आ रही, ना खाना निगल पा रही है.

टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के बाबरी मस्जिद जैसे डिजाइन में मस्जिद निर्माण के फैसले ने पश्चिम बंगाल में जोरदार घमासान खड़ा कर दिया है. BJP ने आरोप लगाया है कि यह कदम लोगों को धार्मिक आधार पर बांटने के लिए उठाया जा रहा है. वहीं TMC ने इसे बेबुनियाद करार दिया और दावा किया कि कबीर BJP के इशारे पर अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

दिल्ली के संगम विहार इलाके में मामूली विवाद के चलते दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंट की चाकू मारकर हत्या कर दी गई. मृतक की पहचान 27 साल के इरशाद के रूप में हुई है, जिसे परिजन गंभीर हालत में अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिवार वालों के आरोप पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है और एक नाबालिग समेत दो आरोपियों को हिरासत में लिया गया है.



