
'मनमोहन सिंह ने मुझे प्रेरित किया...', मोंटेक अहलूवालिया ने ऐसे किया पूर्व पीएम को याद
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अहलूवालिया ने बताया कि डॉ. सिंह ने मेरे करियर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर जब मुझे 1990 के दशक के दौरान वित्त मंत्रालय में उनकी कोर टीम में शामिल किया गया था. बाद में जब डॉ. सिंह प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मुझे 2004 से 2014 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में काम करने के लिए कहा.
योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी. साथ ही मनमोहन सिंह के साथ अपने दशकों पुराने संबंधों को याद किया. मोंटेक सिंह ने कहा कि मनमोहन सिंह से उनकी पहली मुलाकात 1973 में हुई थी, उस समय डॉ. अहलूवालिया अपनी शादी की तैयारी कर रहे थे और डॉ. सिंह ने उन्हें और उनकी मंगेतर को दिल्ली में डिनर के लिए आमंत्रित किया था.
डॉ. अहलूवालिया ने इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए कहा कि मैं पहली बार डॉ. मनमोहन सिंह से लगभग 50 साल पहले मिला था, उन्होंने ही मुझे आर्थिक सलाहकार की नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित किया था.
अहलूवालिया ने बताया कि डॉ. सिंह ने मेरे करियर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर जब मुझे 1990 के दशक के दौरान वित्त मंत्रालय में उनकी कोर टीम में शामिल किया गया था. बाद में जब डॉ. सिंह प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मुझे 2004 से 2014 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में काम करने के लिए कहा.
डॉ. मनमोहन सिंह की आर्थिक क्षमताओं के बारे में पूछे जाने पर डॉ. अहलूवालिया ने उनकी हायर एकेडमिक उपलब्धि और तकनीकी क्षमता का जिक्र किया. उन्होंने 1970 के दशक के एक महत्वपूर्ण क्षण को याद किया, जब मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के व्यापार को राष्ट्रीयकृत करने का काफी दबाव था. डॉ. अहलूवालिया ने कहा कि मुझे 1970 के दशक की एक घटना याद है, जो उन्होंने मेरे साथ साझा की थी, उन्होंने मुझे एक बैठक के बारे में बताया, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उच्च मुद्रास्फीति से चिंतित थीं, उन्हें योजना आयोग द्वारा गेहूं के व्यापार का राष्ट्रीयकरण करने की सलाह दी गई थी. हालांकि डॉ. मनमोहन सिंह इस दृष्टिकोण से असहमत थे. उन्होंने तर्क दिया कि मुद्रास्फीति को सही मायने में नियंत्रित करने के लिए सख्त मौद्रिक नियंत्रण आवश्यक थे.
पूर्व आर्थिक सलाहकार ने कहा कि इंदिरा गांधी ने मनमोहन सिंह से पूछा था कि क्या उन्हें विश्वास है कि ये दृष्टिकोण, जो योजना आयोग से अलग है, काम करेगा. इस पर उन्होंने आश्वासन दिया कि एक साल के भीतर मुद्रास्फीति कम हो जाएगी. इंदिरा गांधी ने उनकी सिफारिश को महत्व और ये रिकॉर्ड में है कि एक साल के भीतर मुद्रास्फीति और कीमतें वास्तव में कम हो गईं. डॉ. अहलूवालिया ने कहा कि वित्त मंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने साहसिक कदम उठाए. जिसमें रुपये का अवमूल्यन भी शामिल था. बता दें कि भारत के आर्थिक सुधारों के निर्माता डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. शनिवार सुबह दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, जहां विभिन्न दलों के शीर्ष नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

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